Lok Sabha Election 2024: ...तो बिगड़ जाएगा खेल! सुशील कुमार मोदी की बात में निकला दम तो नीतीश के लिए ये 'खतरा'
Bihar Politics: सुशील कुमार मोदी ने रविवार को बयान जारी कर अपनी बात कही है. कहा कि 1977 को छोड़ कर कभी विपक्ष एकजुट नहीं हुआ है. कांग्रेस का हर नेता खुद को पीएम-इन-वेटिंग मानता है.
पटना: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए बिहार में बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) भले ही कई बार कह चुके हों कि पीएम पद के लिए उनकी कोई इच्छा नहीं है, लेकिन विपक्षी एकता के लिए उन्होंने जरूर अपनी ताकत लगाई है. इस बीच रविवार को बीजेपी नेता और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने बयान जारी कर निशाना साधा. उनके बयान में दम निकला तो नीतीश कुमार विपक्षी एकता को एकजुट करने में कमजोर पड़ सकते हैं.
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 1977 को छोड़ कर कभी पूरा विपक्ष एकजुट नहीं हुआ और वह भी तब संभव हुआ जब उसका नेतृत्व जेपी जैसे महान राजनेता के हाथ में था. आज विपक्ष का हर नेता खुद को पीएम-इन-वेटिंग मानता है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नीतीश कुमार को पूछती नहीं. वे सीधे राहुल गांधी या खरगे से बात करने के बजाय सलमान खुर्शीद जैसे व्यक्ति के जरिए संदेश दे रहे हैं, जिसकी कांग्रेस में कोई हैसियत नहीं. बता दें कि अगर कांग्रेस ने साथ नहीं दिया तो 2024 में नीतीश कुमार के मिशन की तस्वीर कुछ और हो सकती है.
कमजोर हो चुकी कांग्रेस: सुशील कुमार मोदी
कांग्रेस पर हमला करते हुए बीजेपी नेता ने कहा कि महज तीन राज्यों तक सिमटी यह पार्टी काफी कमजोर हो चुकी है. वह न विपक्षी एकता की धुरी बन सकती है, न कोई राहुल गांधी का नेतृत्व स्वीकार करेगा. केरल में एक-दूसरे के विरुद्ध लड़ने वाली कांग्रेस और माकपा एक साथ नहीं आ सकते. पंजाब-दिल्ली- हरियाणा में कांग्रेस और केजरीवाल साथ नहीं आ सके. ममता बनर्जी और केसीआर में कोई किसी को नेता नहीं मानता. कहा कि केवल प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ही ऐसी मजबूत सरकार दे सकती है जो सबका विकास करते वाली अर्थव्यवस्था की तेजी बरकरार रख सके.
सुशील मोदी ने जारी किए गए अपने बयान में यह भी कहा कि देश अब देवगौड़ा और चंद्रशेखर के उस दौर में नहीं लौटना चाहता, जब रिजर्व बैंक को सोना गिरवी रखना पड़ा था. विपक्षी एकता केवल मृग-मरीचिका है. यह एक झूठे-नकारात्मक लक्ष्य के लिए सत्ता के प्यासे हिरणों की दौड़ के सिवा कुछ नहीं है. विपक्ष दिल्ली में सरकार चाहता है, जिसे हर छोटी-बड़ी पार्टी ब्लैकमेल कर सके और जो सरकार जीएसटी या सर्जिकल स्ट्राइक जैसे बड़े फैसले न कर सके.
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