Lok Sabha Election: बिहार में बीजेपी ने 2024 के लिए कैसे बिछाई सियासी बिसात? 10 प्वाइंट में जानिए 'गेम ओवर' का प्लान
Lok Sabha Election 2024: बयानबाजी के बीच नजरें सबकी 2024 के लोकसभा चुनाव पर है. लोकसभा चुनाव में वक्त है लेकिन बिहार चर्चा में इसलिए है क्योंकि नीतीश कुमार विपक्षी एकता को एकजुट करने में हैं.
पटना: बिहार में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) एकला चलो की राह पर चल रही है. नौ अगस्त 2022 को बिहार एनडीए (Bihar NDA) में टूट हुई और उसी समय से बीजेपी (BJP) ने यह निर्णय ले लिया कि अब वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को जिंदगी में अपने साथ नहीं लाएगी. अब बिहार में महागठबंधन की सरकार (Mahagathbandhan Sarkar) है. बीजेपी अपने रास्ते पर चल रही है तो वहीं महागठबंधन भी भारतीय जनता पार्टी पर कई तरह के आरोप लगाते हुए आगे बढ़ रही है. बयानबाजी के बीच नजरें सबकी 2024 के लोकसभा चुनाव पर है. इसके लिए बीजेपी बिसात बिछा रही है. जानिए 10 बड़ी बातें.
1. पहली और सबसे खास बात है कि लोकसभा चुनाव के लिए ऐसा नहीं है कि बीजेपी अभी किसी खास तैयारी में लगी है बल्कि नीतीश कुमार जब एनडीए में थे तब ही प्लान शुरू था. इसके उदाहरण हैं. नीतीश कुमार ने नौ अगस्त 2022 को एनडीए का दामन छोड़ा था लेकिन इससे पहले ही जेडीयू और बीजेपी के बीच दूरी बढ़ गई थी. नीतीश कुमार के हटने से पहले 30 और 31 जुलाई को पटना में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई थी. इसमें पूरे बिहार के कार्यकर्ता उपस्थित हुए थे. पटना को पोस्टर और बैनर से पाट दिया गया था. पटना बीजेपी मय हो चुका था. नीतीश कुमार को उसी वक्त बीजेपी की तैयारी का एहसास हो गया था. नौ दिन बाद ही वो बीजेपी से अलग हो गए थे.
2. राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह उपस्थित हुए थे. इस दौरान बीजेपी कोटे के मंत्रियों ने सरकार में रहकर असहजता की बात कही थी. सबको गुप्त रूप से बड़ा टास्क भी दिया गया था जिस पर बीजेपी अभी भी काम कर रही है.
3. महागठबंधन में नीतीश कुमार के जाने के बाद बीजेपी उसी वक्त से एक्शन मोड में आ गई थी. 40 दिन बाद बिहार के सीमांचल में अमित शाह का दो दिवसीय दौरा हुआ. 23 को पूर्णिया में और 24 सितंबर को किशनगंज में अमित शाह ने बड़ी सभा की और लोगों से मिले. जेडीयू से अलग होने के बाद अमित शाह के पहले दौरे में हिंदुत्व कार्ड खेलने की तैयारी हुई क्योंकि किशनगंज और पूर्णिया मुस्लिम बहुल इलाका है. ऐसे में हिंदू वोटों को एकजुट करने की राजनीति की शुरुआत बीजेपी ने सीमांचल से कर दी थी.
4. अमित शाह का बिहार आने का सिलसिला लगातार रहा. सीमांचल दौरे के बाद 11 अक्टूबर 2022 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर सिताबदियारा पहुंचे. छपरा में जनसभा की. वहां से महागठबंधन को निशाने पर लिया गया. सवर्ण वोट को एकजुट करने की रणनीति की गई.
5. अमित शाह 22 फरवरी को पटना आने वाले हैं. यहां एक बड़ी जनसभा करेंगे. इस कार्यक्रम में भूमिहार-ब्राह्मण वोटों को एकजुट करने की रणनीति होगी. क्योंकि अमित शाह भूमिहार समाज के जनक स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती पर आ रहे हैं.
6. बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए जोड़ तोड़ की राजनीति शुरू कर दी है. राज्यसभा का टिकट नहीं मिलने कारण आरसीपी सिंह नाराज हुए और नीतीश कुमार से भी दूरी बना ली. हालांकि वो बीजेपी में अभी तक शामिल नहीं हुए हैं. कयास लगाया जा रहा है कि वो जल्द बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी में शामिल होते हैं तो नीतीश कुमार कमजोर होंगे और बीजेपी को फायदा होगा. आरसीपी सिंह कुर्मी जाति से आते हैं. उनके आने से कुर्मी जाति सहित पिछड़ा वर्ग के वोट में बिखराव होगा.
7. बिहार में दलित समाज का 7.5% में पासवान जाति सबसे ज्यादा है. बीजेपी की नजर पासवान वोट को एकजुट करने और उसको अपने पाले में करने के लिए चिराग पासवान को आगे करने का काम कर दिया है. चिराग को हाल ही में केंद्र सरकार ने जेड प्लस सुरक्षा दी है. बिहार में हुए तीन विधानसभा उपचुनाव कुढ़नी, गोपालगंज और मोकामा में चिराग पासवान को बीजेपी ने स्टार प्रचारक बनाया और उसका फायदा भी बीजेपी को मिला.
8. बीजेपी की सबसे बड़ी ढाल पार्टी का संगठन है. बीजेपी के बिहार प्रदेश प्रवक्ता और पुराने बीजेपी कार्यकर्ता रहे निखिल आनंद ने बताया कि बीजेपी शुरू दौर से ही संगठन पर विश्वास करती है. प्रखंड लेवल का मुद्दा हो या राष्ट्रीय लेवल का मुद्दा हो, बीजेपी के सभी कार्यकर्ता उस पर काम करते हैं. नीतीश कुमार जब पहले दौर में बीजेपी से अलग हुए थे उसके बाद वो फिर वापस आए और हमारी पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया. उसी समय बीजेपी के कार्यकर्ता नीतीश कुमार पर बहुत ज्यादा भरोसा नहीं कर रहे थे. यही कारण है कि बीजेपी 2017 से जेडीयू के साथ रहते हुए भी अपने संगठन को मजबूत करने में ज्यादा जोर दे रही थी. इसका फायदा 2019 में हमें मिला. 2020 में भी जेडीयू से ज्यादा सीट हमें मिली. 2024 में इसी का फायदा बीजेपी को मिलेगा.
9. निखिल आनंद कहते हैं कि एनडीए टूटने के बाद जितने भी मंत्री थे या विधायक हैं या सांसद हैं वे सभी लोकसभा या विधानसभा सत्र खत्म होने के बाद अपने क्षेत्र में रहते हैं. छोटे से बड़े नेता का दौरा लगातार बिहार के हर इलाके में प्रतिदिन हो रहा है. इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा.
10. अंत में निखिल आनंद ने यह भी कहा कि बीजेपी में सबसे बड़ी बात है कि हमारे मंडल अध्यक्ष या जिलाध्यक्ष की उम्र 50 वर्ष से कम है. वे अनुभवी भी हैं. बीजेपी का हर संगठन युवा संगठन है. युवा के नेतृत्व में काम हो रहा है इससे हमें लाभ मिलेगा.
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