Lok Sabha Election: बिहार की सियासी पिच पर 2024 में छक्का मारने की तैयारी में बीजेपी? | 10 बड़ी बातें
Lok Sabha Elections 2024: बीजेपी रणनीति बना रही है. 40 में 39 सीट जीतने का दावा भी किया जा रहा है. 2019 में बीजेपी नीतीश कुमार के साथ थी. उस समय बीजेपी को 17 सीट मिली थी.
पटना: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) में अभी वक्त बचा है लेकिन बिहार की सियासी पिच पर 2024 में बीजेपी छक्का मारने की तैयारी में लग गई है. हालांकि अन्य पार्टियां भी रणनीति बनाने में लगी जुट चुकी हैं. बिहार में बीजेपी बड़ा दांव खेलने के फिराक में है. बीजेपी का दावा है कि बिहार की 40 सीटों में कम से कम 39 एनडीए के खाते में आएगी. इसी रणनीति के तहत बिहार में पार्टी काम भी कर रही है.
2019 में 17 सीट बीजेपी को मिली थी तो उनकी सहयोगी पार्टी जेडीयू को 16 और छह सीट पर एलजेपी ने जीत दर्ज की थी. 2024 में यह स्थिति नहीं है. इस बार जेडीयू महागठबंधन के साथ है. ऐसे में अब बीजेपी जेडीयू के वोट बैंक में सेंधमारी करने के फिराक में जुट गई है. अगर बीजेपी सफल हो जाती है तो बड़ी सफलता मिल सकती है. आइए 10 बड़ी बातें जानिए.
1. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सबसे बड़ा वोट बैंक पिछड़ा और अति पिछड़ा है. बीजेपी नीतीश कुमार के इस वोट बैंक को तोड़ने में लगी है. सफल रही तो बीजेपी को विशेष फायदा होगा.
2. इसकी शुरुआत बीजेपी ने कर दी है. नौ अगस्त 2022 को जब नीतीश कुमार ने एनडीए का दामन छोड़ा था और वो महागठबंधन में शामिल हुए तो बीजेपी ने उसी वक्त 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी.
3. जेडीयू के राइट हैंड माने जाने वाले रामचंद्र प्रसाद सिंह उर्फ आरसीपी सिंह उसी वक्त जेडीयू से बाहर हो गए थे. बताया जा रहा है कि वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. आरसीपी सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जाति कुर्मी से आते हैं. अगर कुर्मी का वोट काटने में आरसीपी सिंह सफल हुए तो बीजेपी को फायदा होगा.
4. अभी उपेंद्र कुशवाहा भी जेडीयू से नाराज चल रहे हैं. अगर उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी में शामिल होते हैं तो कुशवाहा समाज का लगभग 5% वोट बीजेपी को मिल सकता है. यह पहले भी देखा गया है. 2014 में उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी एनडीए के साथ चुनाव लड़ी थी. तीन सीट पर जीत मिली थी.
5. 2020 के विधानसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी अकेले चुनाव लड़ी थी और उसका खामियाजा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उठाना पड़ा था. कुशवाहा वोट जेडीयू को नहीं मिला था. इसके कारण मात्र 43 सीट ही जेडीयू को मिले थे. ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा के आने से कुशवाहा समाज का लगभग 5% वोट का फायदा बीजेपी को हो सकता है.
6. बिहार में जातीय जनगणना हो रही है इससे भी बीजेपी को फायदा हो सकता है. क्योंकि जाति जनगणना में जातियों की गिनती हो रही है, लेकिन उप जातियों की गिनती नहीं हो रही है. कुर्मी को जाति बताया गया है तो वहीं धानुक समेत कई जाति को उपजाति बताया गया है. इसको लेकर धानुक समाज भी बिगड़े हुए हैं.
7. बिहार में धानुक समाज लगभग 7% है. अगर यही हाल चुनाव तक रहा तो वह सारा वोट बीजेपी में जा सकता है जो जेडीयू का वोट बैंक माना जाता है.
8. कुल मिलाकर यही दिख रहा है कि जेडीयू के वोट बैंक में बीजेपी सेंधमारी करने के मूड में है. बीजेपी सिर्फ जेडीयू के वोट में सेंधमारी कर अगर 50% वोट जेडीयू का तोड़ देती है तो बीजेपी को फायदा होगा.
9. बीजेपी अच्छी तरह से जानती है कि आरजेडी के एमवाई समीकरण को तोड़ने में वह कामयाब नहीं हो सकती है इसलिए जेडीयू के वोट बैंक पर नजर है. जेडीयू के बड़े नेताओं को तोड़कर अपने पाले में करने के फिराक में जुट गई है.
10. बीजेपी इस बात से बेफिक्र है कि उच्च जातियों का वोट बीजेपी को मिलेगा. ऐसे में अगर अति पिछड़ा और अतिपिछड़ा समाज का वोट मिलता है तो को एमवाई समीकरण से कोई खास नुकसान नहीं होगा.
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