पटना: बिहार में इन दिनों सियासी घमासान मचा हुआ है. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के रेल मंत्री रहते हुए नौकरी के बदले जमीन लेने के मामले में एक तरफ ईडी (ED) और सीबीआई (CBI) जांच कर रही है तो वहीं दूसरी ओर तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने का एजेंडा भी ठंडे बस्ते में चला गया है. दूसरी ओर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी दिल्ली के मिशन को पूरा करने में जुटी है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (Lalan Singh) ने बयान दिया है कि साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी यूपी में समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरेगी. ऐसे में चर्चा है कि क्या नीतीश कुमार दिल्ली के लिए हर तरह के प्लान बनाने में जुटे हैं. पॉलिटिकल एक्सपर्ट और बयानों से मायने समझें.


जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह रविवार को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में अपनी राजनीति चमकाते दिखे. ललन सिंह महिला दिवस और होली मिलन के संयुक्त समारोह के कार्यक्रम में पहुंचे थे. उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा कि आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ेगी. हालांकि उत्तर प्रदेश में अभी तक जेडीयू का खाता भी नहीं खुला है लेकिन उत्तर प्रदेश में पिछड़ा समाज की बात करें तो लगभग छह फीसद कुर्मी जाति है. नीतीश कुमार कुर्मी समाज के बड़े नेता माने जाते हैं. ऐसे में ललन सिंह ने एक पासा फेंका है हालांकि इस पर समाजवादी पार्टी की ओर से कोई बयान नहीं आया है.


नीतीश कुमार ने छापेमारी पर क्या कहा?


दिल्ली में जब लालू परिवार के यहां ईडी की छापेमारी हो रही थी तो बीते शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में बयान दे रहे थे. हालांकि शुरुआत में उनका कोई बयान नहीं आ रहा था. इसको लेकर भी तरह-तरह की चर्चा हो रही थी. ऐसे में जब मीडिया ने सवाल किया तो नीतीश कुमार ने कहा कि यह छापा तो पहले से होता आ रहा है. 2017 में जब आरजेडी के साथ वह गए उस वक्त भी छापेमारी हुई थी. अब पांच साल बाद इनके साथ आया हूं तो छापेमारी हो रही है. क्या कुछ होता है यह देखिएगा. यह लोग भी अपना जवाब दे रहे हैं.


छापेमारी से खुश हैं नीतीश कुमार: सुशील मोदी


बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शनिवार को ही बयान दिया था कि लालू परिवार के यहां छापे से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बहुत खुश हैं. ताजा कार्रवाई से तेजस्वी यादव को सीएम बनाने का दबाव टल चुका है. ललन सिंह जांच में तेजी और जल्द सजा दिलाना चाहते हैं. अगर आरजेडी नेताओं को सजा हुई तो 2025 तक नीतीश कुमार राज करेंगे.


जानिए क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार


लालू परिवार के घर ईडी की छापेमारी और राजनीतिक चर्चाओं के बीच जेडीयू का बदला-बदला रुख क्या संकेत दे रहा है? ललन सिंह के यूपी में दिए गए बयान के क्या मायने हैं? ऐसे तमाम सवालों को लेकर बिहार की राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय कहते हैं कि बात सही है कि जिस तरह तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का दबाव चल रहा था उस पर अब विराम लग गया है लेकिन अभी आरजेडी और जेडीयू दोनों मजबूरी में है. क्योंकि नौकरी के बदले जमीन मामले में सीबीआई को कागजात ललन सिंह और शरद यादव ने ही सौंपा था. 


अरुण पांडेय कहते हैं कि 2017 में नीतीश कुमार अपराध पर जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं और उसी पर 2017 में आरजेडी से अलग हुए थे. अब फिर ईडी कार्रवाई कर रही है तो नीतीश कुमार ने यह तो कहा कि जब जब हम आते हैं तो छापेमारी होती है पहले क्यों नहीं हो रही थी लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि यह गलत हो रहा है और आरजेडी को फंसाया जा रहा है. नीतीश कुमार की मजबूरी है आरजेडी के साथ रहने की और आरजेडी की भी मजबूरी है क्योंकि सिर पर लोकसभा का चुनाव है.


ललन सिंह के बयान का बहुत मतलब नहीं


जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के उत्तर प्रदेश में सपा से गठबंधन करने की बात पर अरुण पांडेय ने कहा कि यह कोई बड़ी बात नहीं है. ललन सिंह के बयान के बहुत मतलब नहीं निकाले जा सकते हैं. बिहार में उन्होंने कहा था कि हम गंगा नदी के रास्ते क्रूज को नहीं आने देंगे लेकिन बिहार में आया और उस पर जो कार्यक्रम हुआ उसमें तेजस्वी यादव ने अतिथि के रूप में भाग भी लिया. सबसे बड़ी बात है कि जेडीयू बाकी राज्यों में कमजोर हो रही है. तीन राज्यों के चुनाव में नागालैंड में एक सीट जीत कर पार्टी आई लेकिन वह भी बाद में बीजेपी के समर्थन में चले गए. उत्तर प्रदेश में साथ में चुनाव लड़ती भी पार्टी तो 1-2 सीट आ सकती है.


अरुण पांडेय ने कहा कि सबसे बड़ी बात है कि अखिलेश यादव पहले ही अकेले चुनाव लड़ने की बात कर चुके हैं. उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि हम कांग्रेस के साथ चुनाव नहीं लड़ेंगे. पहले भी समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ी है लेकिन कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली की सीट गांधी परिवार के लिए छोड़ दिया था लेकिन इस बार अखिलेश यादव ने यह भी एलान किया है कि उन दोनों सीटों पर चुनाव लड़ेगी.


अब सवाल उठता है कि जेडीयू बिहार में कांग्रेस के साथ महागठबंधन में है और यूपी में समाजवादी पार्टी कांग्रेस से दूरी बनाकर है. तो क्या बिहार में कांग्रेस से अलग होकर जेडीयू चुनाव लड़ेगी? नीतीश कुमार बीजेपी के खिलाफ अलग फ्रंट बनाना चाहते हैं जो बिना कांग्रेस के संभव नहीं है. ऐसे में उत्तर प्रदेश में समाजवादी के साथ गठबंधन अगर जेडीयू करती है तो बिहार में क्या करेगी यह बड़ा सवाल है.


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