समस्तीपुर: देश में लोकसभा का चुनाव होना है और इसकी तैयारी भी दिख रही है. 23 जून को ही पटना में विपक्षी एकता की बैठक हुई थी. इसी क्रम में प्रशांत किशोर ने शुक्रवार (7 जुलाई) को बड़ा बयान देते हुए कहा कि तख्तापलट के लिए किसी चेहरे की जरूरत नहीं है. पीके ने कहा कि बस मुद्दा होना चाहिए. विपक्षी एकता को लेकर बड़ा बयान देते हुए इंदिरा गांधी और बीपी सिंह का हवाला दिया.


प्रशांत किशोर ने कहा कि जब तक आपके पास सशक्त मुद्दा न हो, तब तक दलों के एक साथ आने से कुछ नहीं हो सकता है. राजनीति पर टिप्पणी करने वाले लोग 1977 का हवाला देते हैं कि कैसे सारे दलों ने एक साथ उस समय की पीएम इंदिरा गांधी को हरा दिया? लेकिन ये आधा सत्य है.


तो दलों को मिलेगा फायदा


पीके ने कहा कि इमरजेंसी नहीं हुआ होता, जेपी के नेतृत्व में आंदोलन नहीं हुआ होता. सारे दल अपने मुद्दे भूलकर एक साथ समर्थन न करते तो क्या आपको लगता है कि दलों के एक साथ मिलने से इंदिरा जी हार जातीं? आज के संदर्भ में जेपी या उनके समकक्ष नेता भी ढूंढना पड़ेगा. जनता से जुड़े मुद्दे भी ढूंढने पड़ेंगे. ये दोनों चीज हों तो दलों के मिलने का फायदा होगा.


आगे बीपी सिंह का नाम लेते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि उनके समय भी सारे दल एक साथ मिलकर आए और उन्होंने कांग्रेस की 400 से अधिक एमपी की सरकार को हरा दिया. उस दौरान विपक्ष के लिए मुद्दा बोफोर्स था, उसके नाम पर सब एक हुए. फिर दलों ने अपनी ताकत दिखाई, जनता ने बोफोर्स के नाम पर, भ्रष्टाचार के नाम पर वोट दिया और सत्ता परिवर्तन हुआ.


प्रशांत किशोर बोले- "मुझे नहीं लगता कि 15 दलों के नेता एक साथ बैठ गए और उसका असर देशव्यापी हो जाएगा. उस बैठक में ममता, लालू व अन्य एक साथ बैठे थे, उसका असर देश में कैसे होगा? बंगाल का वोटर तो देश के मुद्दे पर और बंगाल में जो सरकार काम कर रही है उसको ध्यान में रखते हुए वोट करेगा. विपक्षी एकता के लोग मिलकर देशव्यापी कोई मुद्दा बना लें, नेरेटिव सेट कर लें और उस मुद्दे को लेकर तृणमूल की सरकार जमीन पर ताकत लगाए, तो फायदा हो सकता है."


बता दें कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने बेंगलुरु में 17-18 जुलाई को होने वाली आगामी विपक्षी एकता की बैठक को काफी अहम बताया है. कहा है कि इस बैठक में कई चीजें तय हो जाएंगी.


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