पटना: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में वक्त जरूर है लेकिन बिहार में अब खुलकर इसकी तैयारी शुरू हो गई है. ठंडी पड़ चुकी विपक्षी एकजुटता की मुहिम को धार देने की कोशिश शनिवार को दिखी. 18 फरवरी को पटना में भाकपा माले के तीन दिवसीय अधिवेशन में विपक्षी पार्टियां एकजुट हुईं. इस अधिवेशन में वाम दलों के साथ-साथ महागठबंधन के सभी नेता शामिल हुए. कार्यक्रम में एक तरफ जहां बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बयानों के जरिए हीरोगिरी दिखाई तो वहीं इशारों-इशारों में कांग्रेस ने बहुत कुछ कह दिया. पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के बयान से काफी कुछ झलका. कांग्रेस ने धोखा दिया तो नीतीश के मिशन 2024 में सेंध लग सकती है. क्योंकि स्थिति ये है कि सीएम नीतीश कुमार को कांग्रेस के सामने गुहार लगानी पड़ रही है.
बिहार में पिछले साल (2022) एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने टुकड़ों में बंटे विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम शुरू कर दी थी. नीतीश कुमार तीन दिन तक दिल्ली में रहे. सोनिया गांधी, राहुल गांधी के अलावा तमाम विपक्षी दलों के बड़े नेताओं से वो मिले थे. हालांकि सोनिया गांधी से लालू और नीतीश की मुलाकात की तस्वीर सामने नहीं आई थी जिस पर खूब राजनीति भी हुई थी. बीजेपी ने कहा था कि सोनिया गांधी ने बिना मुलाकात किए ही लालू और नीतीश को दरवाजे से ही लौटा दिया. इसके बाद से विपक्षी एकजुटता की मुहिम ठंडी पड़ती दिख रही थी. अब पटना में आयोजित कार्यक्रम से फिर से वो हवा उठनी शुरू हो गई है.
नीतीश के कदम को आगे बढ़ा रहे तेजस्वी
विपक्षी एकजुटता की मुहिम बीच में ठंडी पड़ गई थी. नीतीश कुमार समाधान यात्रा पर निकल गए थे. अब खत्म होने के बाद उनकी नजर 2024 पर है. उनके कदम को आगे बढ़ाने में तेजस्वी यादव लग गए हैं. पिछले दिनों रांची में तेजस्वी यादव ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की थी. इसके बाद तेजस्वी दिल्ली गए थे और वहां के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी. कहीं न कहीं अब लोकसभा चुनाव की तैयारी की हवा बिहार में बहने लगी है.
नीतीश, तेजस्वी और खुर्शीद के बयानों से समझें मायने
नीतीश कुमार ने शनिवार को भाकपा माले के अधिवेशन में कांग्रेस से गुहार लगाई तो एक तरह से चेतावनी भी देते दिखे. नीतीश कुमार ने अपनी रटी-रटाई बात को दोहराया और कहा- "हमको कोई इच्छा नहीं है, ऐसे ही कोई नारा लगा देता है. इतना जान लीजिए मेरी यही इच्छा है कि सब लोग एकजुट होकर हैं. बाकी मुझे अपने लिए कोई इच्छा नहीं है."
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के सामने कहा कि यात्रा तो आपकी बहुत अच्छी हो गई है, लेकिन अब आगे के लिए सोच लीजिए. हम तो उसी के लिए इंतजार कर रहे हैं. बहुत सारी पार्टियां एकजुट होने के लिए तैयार हैं. कई लोग हमको फोन कर रहे हैं लेकिन अब आप लोग सोचिए. मेरा सुझाव मान लीजिएगा तो ये लोग (बीजेपी) 100 से नीचे चले जाएंगे. नहीं मानिएगा तो सोच लीजिए क्या होगा. यह आप लोग समझ लीजिए.
सलमान खुर्शीद ने इशारों में कही ये बात
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके बयान का कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने जवाब दे दिया. कहा कि प्यार में एक समस्या होती है कि पहले आई लव यू कौन बोलेगा. जो अनुभवी होते हैं वह सोच विचार करते हैं और पीछे हो जाते हैं लेकिन जिन्हें अनुभव की कमी रहती है वह तुरंत अपनी बात को जुबां पर ले आते हैं और कहते हैं भैया हम तो ऐसे ही हैं. कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने इशारों-इशारों में बता दिया कि इतना आसान भी सबकुछ नहीं है. प्यार की भाषा में वार कर खुर्शीद ने बता दिया कि कांग्रेस इतनी आसानी से हां में हां करने वाली नहीं है.
तेजस्वी यादव ने ड्राइविंग सीट मांगी
वहीं बिहार के डिप्टी सीएम ने कहा कि बीजेपी ने देश में चुनी हुई सरकार को गिराया, लेकिन यह बिहार है. हमने बीजेपी के साथ वही खेल किया जो वह पूरे देश में खेलती है. तेजस्वी यादव ने कांग्रेस को सुझाव दिया कि कहा हम लोग एकजुट हुए हैं, लेकिन मेरा एक सुझाव है कि जहां-जहां रीजनल पार्टी है वहां रीजनल पार्टी को ड्राइविंग सीट पर बैठाना चाहिए. जहां कांग्रेस और बीजेपी की डायरेक्ट लड़ाई है वहां कांग्रेस को तैयारी करनी चाहिए.
बिगड़ सकता है समीकरण?
बता दें कि नीतीश कुमार का अपने राज्य में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. पार्टी के भीतर ही विरोध शुरू है. उपेंद्र कुशवाहा ने मोर्चा खोल दिया है तो वहीं इसी दल के कभी राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे आरसीपी सिंह भी लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में इसकी चर्चा है कि ये दोनों मिलकर लव कुश समीकरण बनाने में लगे हैं. ऐसा अगर हुआ तो नीतीश कुमार के लिए संकेत ठीक नहीं होगा.
नीतीश के अपनों के चलते बिगड़ेगा खेल?
हाल ही में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था. देश भर में यह मुद्दा बन गया था. नीतीश की पार्टी के मंत्री अशोक चौधरी ने कार्रवाई की मांग की थी. बीजेपी ने कार्रवाई की मांग की थी लेकिन आरजेडी कोटे से मंत्री चंद्रशेखर का उनकी पार्टी का खूब साथ मिला. वहीं आरजेडी के ही एक और पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह ने मोर्चा खोला है. इस तरह के ये नेता अपने बयानों से नीतीश के मिशन में मुश्किल न पैदा कर दें.
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