Bihar Politics: सियासत में फैसले पहले से फिक्स होते हैं. ये बात अलग है कि दिखावे की राजनीति लंबे वक्त तक चलती रहती है. जिस वक्त राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अपनी यात्रा लेकर बिहार के सीमांचल में पहुंचे थे उसी वक्त ये तय हो गया था कि पप्पू यादव (Pappu Yadav) आने वाले दिनों में कांग्रेस में शामिल होंगे. ये वो दौर था जब नीतीश कुमार (Nitish Kumar) इंडिया गठबंधन से अलग होकर NDA में जाने वाले थे. तब लालू यादव (Lalu Yadav) बिहार विधानसभा का गणित बनाने में व्यस्त थे और कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी थी.
19 मार्च की शाम को पप्पू यादव पटना पहुंचे. उस दिन लालू यादव से मुलाकात करनी थी. जैसे ही वह राबड़ी आवास पहुंचे. तेजस्वी यादव ने उनका स्वागत किया. घर के अंदर तक लेकर गए. काफी देर तक बातचीत हुई. और बाहर निकलकर कहा कि लालू यादव से उनका पारिवारिक रिश्ता है. उस वक्त ये खबरें भी तेजी से फैलने लगी थी कि पप्पू यादव अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करने जा रहे हैं. लेकिन जब उनसे ये सवाल हुआ तो इसका फैसला उन्होंने लालू यादव पर छोड़ने की बात कही.
पप्पू यादव कांग्रेस में जाएंगे, ये बात जनवरी के महीने में ही तय हो चुकी थी लेकिन पप्पू यादव ने लालू यादव को इसके बारे में कुछ नहीं बताया. उल्टा ये कह दिया कि उनके कांग्रेस में शामिल होने का फैसला लालू यादव लेंगे. जबकि कांग्रेस में उनके शामिल होने की तारीख भी तय थी. लालू यादव से मिलने के अगले ही दिन पप्पू यादव दिल्ली पहुंचे. कांग्रेस दफ्तर में पार्टी की सदस्यता ली और ये भी बता दिया कि प्रियंका गांधी के कहने पर उन्होंने कांग्रेस में अपनी पार्टी का विलय कर दिया है.
पूर्णिया की सीट पर फंस गया था पेंच
पप्पू यादव कांग्रेस में शामिल हो गए लेकिन उनका ये तौर-तरीका लालू यादव को पंसद नहीं आया. इसकी सबसे बड़ी वजह ये रही कि उन्होंने लालू यादव से बहुत सी बातें छिपाकर रखीं. जिस वक्त राबड़ी आवास में दोनों की मुलाकात चल रही थी उस वक्त लालू यादव ने पप्पू यादव को एक प्रस्ताव दिया था. लालू यादव चाहते थे कि पप्पू यादव अपनी पार्टी का RJD में विलय कर दें.लालू का प्रस्ताव ये भी था कि मधेपुरा या सुपौल से पप्पू यादव चुनाव लड़ सकते हैं. मधेपुरा या सुपौल का ऑफर इस वजह से दिया गया क्योंकि RJD के पास यहां से कोई मजबूत यादव कैंडिडेट नहीं था. लेकिन पप्पू यादव तभी से ही पूर्णिया की जिद पर अड़े थे. पप्पू यादव को लगा कि वो कांग्रेस में शामिल होकर पूर्णिया सीट पर दावा ठोक सकते हैं.
कांग्रेस ज्वाइन कर पप्पू ने किया यह दावा
लालू से मुलाकात के बाद पप्पू यादव ने कुछ बातें खुलकर कहीं और कुछ बातों को मन में ही रख लिया. लेकिन जब पूर्णिया सीट को लेकर हालात बिगड़ने लगे तो पप्पू यादव ने सारी बातें खुद ही सामने रख दीं.पप्पू यादव ने कहा कि लालू यादव चाहते थे कि ''मैं मधेपुरा से चुनाव लड़ूं लेकिन मैंने इसे ठुकरा दिया. मैंने उनसे कहा कि मैं पूर्णिया नहीं छोड़ सकता. वे चाहते थे कि मैं राजद में शामिल हो जाऊं लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने मुझ पर जो भरोसा दिखाया, वह मेरे लिए काफी था. मैं कांग्रेस में शामिल हुआ.''
पप्पू यादव कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं. ये बात ना तो लालू यादव जानते थे और ना ही बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को इसकी जानकारी थी. नतीजा ये हुआ कि अखिलेश प्रसाद सिंह नाराज हो गए. 20 मार्च को वो दिल्ली में ही थे लेकिन उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं पहुंचे.जहां पप्पू यादव की ज्वाइनिंग होनी थी.
अचानक हुई बीमा भारती की एंट्री
पप्पू यादव चाहते तो कांग्रेस में शामिल होने की बात लालू यादव को बता सकते थे. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. यही बात लालू यादव के दिल पर लग गई. वैसे भी लालू यादव पूर्णिया लोकसभा सीट के लिए पहले से ही प्लान बना चुके थे. अब इस कहानी में एंट्री होती है बीमा भारती की जो कुछ दिन पहले तक जेडीयू की विधायक थीं. लेकिन लालू यादव ने उन्हें अपने साथ जोड़ा और पूर्णिया से RJD का सिंबल भी दे दिया. बीमा भारती 24 साल पहले साल 2000 में पहली बार विधायक बनीं थीं. तब वो निर्दलीय चुनाव जीती थीं. 5 बार विधायक बन चुकी हैं, पिछली बार नीतीश सरकार में मंत्री भी थीं.
लेकिन इस बार जब बिहार में सियासी उथल-पुथल हो रही थी तब वो लालू यादव के संपर्क में चली गईं. ये बात लगभग तय हो गई थी बीमा भारती फ्लोर टेस्ट में मौजूद नहीं रहेंगी, लेकिन आखिरी वक्त में वो विधानसभा पहुंच गई. बाकायदा पुलिस प्रोटेक्शन में बीमा भारती को विधानसभा लाया गया. कई लोगों ने कहा कि विधानसभा पहुंचने के लिए उनपर दबाव बनाया.
लालू के पांव छूकर बीमा ने बता दिया अपना राजनीतिक कदम
अब इसे संयोग कहा जाए या कुछ और क्योंकि फ्लोर टेस्ट से एक रात पहले ही बीमा भारती के पति और बेटे को पुलिस ने अवैध हथियार रखने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. बीमा भारती के पति का नाम अवधेश मंडल है. जिसे सीमांचल का कुख्यात अपराधी कहा जाता है. अवधेश मंडल पर दर्जनों आपराधिक मामले हैं. इसी के चलते बीमा भारती धन बल और बाहुबल से भी मजबूत हैं. बीमा भारती ने भले ही फ्लोर टेस्ट में नीतीश कुमार का साथ दे दिया था लेकिन उस दौरान लालू यादव के पैर छूकर ये भी बता दिया था कि उनका भविष्य लालटेन के साथ है.
पूर्णिया की सियासी गणित
जातीय समीकरण सेट करने में लालू यादव माहिर हैं. बिहार में चेहरा भले ही तेजस्वी यादव का सामने है. लेकिन एक-एक सीट की रणनीति खुद लालू यादव तैयार कर रहे हैं. पूर्णिया ऐसी लोकसभा सीट है जिसपर आरजेडी आज तक नहीं जीती है. 1999 में पप्पू यादव यहां से निर्दलीय चुनाव जीते थे. 2004 में बीजेपी के उदय सिंह ने बाजी मारी, तब पप्पू यादव मामूली अंतर से हार गए थे. 2009 में एक बार फिर बीजेपी के उदय सिंह जीते तब पप्पू यादव ने यहां से चुनाव नहीं लड़ा था.
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