Sawan 2024: बक्सर में ऐतिहासिक पौराणिक बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ धाम की महिमा अपरंपार है, इन्हें मनोकामना बाबा भी कहते हैं. बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ धाम की तुलना सावन के महीने में देवघर के बाबा बैधनाथ धाम से की जाती है. शिवगंगा सरोवर ब्रह्मपुर के विशाल पोखरे से जल लेकर लाखों भक्त बैधनाथ धाम के शिवलिंग पर भी जलाभिषेक करते हैं. वहीं, बक्सर के ऐतिहासिक श्री रामरेखा घाट से उत्तरायणी गंगा का जल लेकर भक्तों का बड़ा जनसैलाब करीब 40 किलोमीटर की यात्रा करते हुए बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ धाम मंदिर पहुंचकर उन पर जलाभिषेक करते हैं.


वहीं, भारत खंड काल में बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर ही इकलौता मंदिर है, जहां पश्चिम की दिशा में इस मंदिर का दरवाजा है.


मुख्य पुजारी ने क्या कहा?


मंदिर के मुख्य पुजारी बताते हैं कि 1833 ईसवी संवत में मंदिर का निर्माण किया गया था. वहीं, ब्रह्मा के हाथों स्थापित बाबा ब्रमेश्वरनाथ शिवलिंग 1333 ईसा पूर्व बताया जाता है. बताया जाता है कि इस मंदिर में बाणासुर भी पूजा अर्चना एवं हवन करने आता था. वेद और पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार गजनवी की सेना ने जब भारत के विभिन्न मंदिरों पर आक्रमण किया था, जहां मंदिरों से स्वर्ण आभूषण लूटना ही उसका काम था. उस समय मिर्जा मीर मोहम्मद कासिम ने भी बाबा ब्रमेब्रह्मेश्वरनाथ धाम मंदिर पर विध्वंस करने की नीयत से चढ़ाई की थी, लेकिन बाबा की असीम कृपा से यहीं से गजनवी की सेना को वापस लौट जाना पड़ा क्योंकि मंदिर का दरवाजा पूर्व दिशा में था जो पश्चिम में हो गया. 


गजनवी की सेना को लौटना पड़ा था बैरंग 


बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर का गुंबद गोलाकार है. सभी मंदिरों में त्रिभुजाकार गुंबद होता है. वहीं, पश्चिम के सभी मंदिरों पर गजनवी की सेना आक्रमण करने में सफल रही थी, लेकिन बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ धाम मंदिर से गजनवी की सेना को वापस लौटना पड़ा जो कि पूर्वोत्तर भारत में आज भी किसी भी मठ मंदिर पर आक्रमण नहीं हुआ. यह इकलौता मंदिर है जहां कि आक्रमणकारियों को बैरंग वापस लौटना पड़ा था. अब इस मंदिर का जीर्णोद्धार करने की पहल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की है.


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