मधुबनी: अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर बनने वाले मंदिर का निर्माण तेजी से हो रहा है. राम मंदिर में स्थापित होने वाली भगवान राम, मां जानकी की मूर्ति को तराशने के लिए 40 टन वजनी पत्थर के दो विशाल टुकड़ों को ले जाने वाली देवशिला यात्रा सोमवार को नेपाल से भारत के मधुबनी जिले के जठही बॉर्डर पहुंची. नेपाल की काली गंडकी नदी के दामोदर कुंड से शालिग्राम की दो देवशिलाएं लाई जा रही हैं.


पत्थर को छू कर प्रणाम के लिए लोगों में होड़ मची रही. शिला को एक खुले ट्रक के द्वारा नेपाल से लाया जा रहा है. ट्रक पर रखे इस पत्थर को पीले कपड़े से लपेटा गया है. शिला और ट्रक को खूब सजाया भी गया है. इसके स्वागत के लिए जगह-जगह तोरणद्वार बनाए गए थे. श्रद्धालु शिला को देखते ही जय श्री राम के जयकारे करने लगे. सैकड़ों महिलाएं जगह-जगह थाली सजाकर देवशिला की पूजा करने पहुंची थीं. यात्रा मार्ग में भजन-कीर्तन भी हो रहा था.


दामोदर कुंड में मिलता है शालिग्राम


मौके पर बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि 500 साल और सैकड़ों जानों की कुर्बानी के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण 2024 में पूरा होना है. श्री राम के बाल स्वरूप के लिए जो शिला चाहिए था वो नेपाल के काली गंडकी नदी के दामोदर कुंड से आई है. यह मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और गोपालगंज में 217 किलोमीटर होते हुए उत्तर प्रदेश जाएगी.


बता दें कि श्री राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव संपत राय के अनुरोध पर नेपाल सरकार ने ये शिला उपलब्ध कराई है. यह सात फीट लंबी, पांच फीट चौड़ी और पांच फीट ऊंची है. एक का वजन 24 टन और दूसरे का 16 टन है. शिला 1400 वर्ष प्राचीन है. शालिग्राम पत्थर दुनिया में नेपाल के गंडकी नदी के काली घाटी में ही मिलता है. अयोध्या के श्री राम मंदिर में भव्य मूर्ति निर्माण के लिए एक ही विशाल शिला चाहिए था जिससे एक ही टुकड़े से उसका निर्माण हो सके. काफी खोजने के बाद इस शिला का चयन किया गया है.


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