पटना: 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) और एनडीए के नेता कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. बात बिहार की करें तो बिहार और उत्तर प्रदेश जाति आधारित चुनाव के लिए जाना जाता है. ऐसे में बीजेपी के लिए बिहार में 2024 का चुनाव चुनौती भरा है. क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) बीजेपी से अलग हो चुके हैं. जाति की बात करें तो 2023 में हुए जातीय सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार यादवों की संख्या 14.26 फीसद है. ऐसे में बीजेपी अब वाई (यादव) प्लान के तहत वोटों की सेंधमारी में जुट गई है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव (MP CM Mohan Yadav) को 'यादव ब्रांड' बनाकर बिहार बुला रही है.


कृष्ण चेतना मंच की ओर से हो रहा कार्यक्रम


मोहन यादव 18 और 19 जनवरी को बिहार दौरे पर आने वाले हैं. वह पटना में सभा को संबोधित करेंगे. बीजेपी के प्रदेश कार्यालय भी जाएंगे. पटना स्थित इस्कॉन मंदिर में पूजा भी करेंगे. सबसे बड़ी बात है कि बीजेपी मोहन यादव को यादव के बड़े नेता के रूप में पेश करने की फिराक में है. इस कारण कृष्ण चेतना मंच की ओर से पूरे कार्यक्रम को आयोजन किया जा रहा है.


कृष्ण चेतना मंच के सचिव गोरेलाल यादव ने कहा कि कृष्ण मेमोरियल हॉल में कार्यक्रम किया जाएगा. 18 जनवरी को मोहन यादव का हम लोग सम्मान करेंगे. इसमें यादव समाज के लोग ही उपस्थित रहेंगे. इसमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और कई राज्यों के यादव महासंघ के बड़े नेताओं के साथ-साथ बिहार के कई यादव समाज के लोग उपस्थित होंगे. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह गैर राजनीतिक कार्यक्रम होगा.


मोहन यादव से बीजेपी को कितना होगा फायदा?


बिहार का एक बड़ा वर्ग यादव समाज लालू प्रसाद का कोर वोट में माना जाता है. ऐसे में बीजेपी की नजर बिहार के 14.26 फीसद यादवों पर है. अगर मोहन यादव को थोड़ी सी भी कामयाबी मिलती है तो बीजेपी को बिहार में बड़ा फायदा होगा. 34 सालों से यादव वोट पर कब्जा जमाने वाले लालू प्रसाद को क्या मोहन यादव टक्कर दे पाएंगे?


आरजेडी के प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि मिसाइल की तुलना छुरछुरी से की जा रही है जो कभी संभव नहीं है. शक्ति यादव ने कहा कि लालू प्रसाद यादव गरीबों दबे-कुचलों के मसीहा रहे हैं. बीजेपी मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर 2024 के लोकसभा चुनाव में यादवों का वोट हासिल करना चाहती है जो संभव नहीं है.


2019 के लोकसभा चुनाव में 17 सीटों पर था बीजेपी का कब्जा


बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 17 सीट जीतकर आई थी जबकि जेडीयू बीजेपी के साथ में थी और 16 सीट जीतने में कामयाब हुई थी. इस बार जेडीयू और आरजेडी एक साथ है. सबसे बड़ी बात है कि 2019 में आरजेडी का खाता भी नहीं खुला था. हालांकि आरजेडी को 15.36% वोट मिला था. एमवाई (MY) समीकरण के कोर वोट में कोई खास गिरावट नहीं आई थी. ऐसे में 2024 के चुनाव को लेकर बीजेपी मानती है कि नीतीश और लालू के एक होने से सभी वर्गों के वोट बैंक में सेंधमारी नहीं की गई तो जीतना संभव नहीं है.


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