पटना: महाराष्ट्र की राजनीति के लिए रविवार (2 जुलाई) का दिन 'सुपर संडे' बनकर सामने आया. अजित पवार एनसीपी से बगावत करते हुए सीएम एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल हो गए. एनसीपी नेता अजित पवार ने अपने आवास पर विधायकों की बैठक बुलाई थी. पहले खबर आई कि ये बैठक महाराष्ट्र में एनसीपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए बुलाई गई है, लेकिन पूरा घटनाक्रम ही कुछ देर में बदल गया जब अजित पवार बैठक से निकले और राजभवन पहुंच गए. डिप्टी सीएम के रूप में शपथ लेकर शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हो गए. अब एनसीपी में विद्रोह को लेकर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने बड़ी बात कही है.


रविवार (2 जुलाई) को बयान जारी करते हुए सुशील कुमार मोदी ने कहा कि शरद पवार की पार्टी एनसीपी में विद्रोह विपक्षी एकता की पटना बैठक का परिणाम है, जिसमें राहुल गांधी को प्रोजेक्ट करने की जमीन तैयार की जा रही थी. बिहार में भी महाराष्ट्र-जैसी स्थिति बन सकती है. इसे भांप कर नीतीश कुमार ने विधायकों से अलग-अलग (वन-टू-वन) बात करना शुरू कर दिया.


'13 साल में नीतीश ने विधायकों को नहीं पूछा'


बीजेपी नेता ने कहा कि जेडीयू के विधायक-सांसद न राहुल गांधी को स्वीकार करेंगे, न तेजस्वी यादव को. पार्टी में भगदड़ की आशंका है. जेडीयू पर वजूद बचाने का ऐसा संकट पहले कभी नहीं था इसलिए नीतीश कुमार ने 13 साल में कभी विधायकों को नहीं पूछा. आज वे हरेक से अलग से मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि जेडीयू यदि महागठबंधन में रहा तो टिकट बंटवारे में उसके हिस्से लोकसभा की 10 से ज्यादा सीटें नहीं आएंगी. कई सांसदों पर बेटिकट होने की तलवार लटकती रहेगी. यह भी विद्रोह का कारण बन सकता है.


अंत में सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार ने विधायकों से बिना पूछे बीजेपी से गठबंधन तोड़ा. लालू प्रसाद यादव से फिर हाथ मिलाया और बिहार में विकास की रफ्तार तोड़ी. इससे दल के भीतर असंतोष लगातार बढ़ता रहा है. अब वन-टू-वन बातचीत से आग बुझने वाली नहीं है.


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