Makar Sankranti Date: आज दही-चूड़ा मनाएं या नहीं? 14 और 15 जनवरी को लेकर क्या है मानना? जानें सटीक बातें
Dahi Chuda Festival: ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े लोग और किसान मुख्य रूप से इसे त्योहार के रूप में मनाते हैं. उनका मानना है कि हम लोग बचपन से अंग्रेजी महीने के 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाएंगे.
पटना: हिंदुओं का त्योहार मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) आज शनिवार को मनाना उचित है या कल रविवार को मकर संक्रांति मनाना चाहिए? इस पर पंडित समेत अन्य लोगों की अलग-अलग राय है. बिहार के कई जिलों में आज (14 January Makar Sankranti) ही मकर संक्रांति को लोग मना रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े लोग और किसान जो मकर संक्रांति को मुख्य रूप से त्योहार के रूप में मनाते हैं उनका मानना है वे लोग बचपन से अंग्रेजी महीने के 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाते आ रहे हैं. इसमें किसी ब्राह्मण के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. इस कारण 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाना भी सही है.
लोगों में 14 और 15 को लेकर कंफ्यूजन
मकर संक्रांति के दिन लोग चूड़ा-दही खाते हैं. तिल से बनी मिठाई, तिलकुट, तिल पापड़ी, तिलवा और आलू-गोभी-मटर की सब्जी भी खाने का प्रावधान है. लोगों का मानना है कि चूड़ा, दही, तिलकुट पहले ब्राह्मण को दान दिया जाता है और फिर खुद खाया जाता है. इससे ज्यादा इस त्योहार में ब्राह्मण की कोई आवश्यकता नहीं है और मकर संक्रांति के दिन रात्रि में खिचड़ी खाई जाती है. कई जगह पर मकर संक्रांति को खिचड़ी के दिन के नाम से भी जाना जाता है.
अधिकांश लोगों का मानना है कि पंडित ने ही बताया है कि शनिवार के दिन चूड़ा, भूंजा या खिचड़ी खाने से ग्रह कटते हैं और शनिवार के दिन ये अवश्य खाना चाहिए. यह अहम संयोग की बात है कि इस बार 14 जनवरी शनिवार को है और शनिवार के दिन चूड़ा और खिचड़ी खाना दोनों शुभ है. वहीं कई लोगों की दलील यह भी है कि ब्राह्मण ने ही बताया है कि रविवार के दिन तिल नहीं खाना चाहिए. नई परंपरा के अनुसार 15 जनवरी को मकर संक्रांति कैसे मनाया जा सकता है और अगर 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई गई तो तिल और खिचड़ी कैसे लोग खाएंगे.
धार्मिक पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति रविवार को होगी
मकर संक्रांति की धार्मिक मान्यता और पंचांग की बात करें तो मकर संक्रांति रविवार 15 जनवरी को मनाना उत्तम है. पटना के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य रविंद्र नाथ तिवारी बताते हैं कि मकर संक्रांति के दिन से खरमास की समाप्ति हो जाती है और सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. मकर संक्रांति का मुख्य उद्देश्य भी यही है. शुभ कार्य तभी होते हैं जब मकर राशि प्रवेश होता है और सूर्य उत्तरायण होते हैं. पंचांग के अनुसार इस बार 14 जनवरी की देर रात्रि 2:35 पर प्रवेश कर रहा है और रविवार की सुबह सूर्य उत्तरायण हो रहे है. तो जब मकर राशि प्रवेश ही नहीं करेगा तो फिर मकर संक्रांति मनाने का क्या औचित्य है? 14 जनवरी की पूरे शनिवार का दिन पंचांग के अनुसार अशुभ ही माना जाएगा. हालांकि धार्मिक परंपरा और और पंचांग को मानकर पूजा पाठ करके मकर संक्रांति मनाने वाले सभी लोग 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाने की बात कर रहे हैं.
दो दिन मनेगा त्योहार
कुल मिलाकर कहा जाए तो मकर संक्रांति इस बार दो दिन बिहार में मनेगा. कुछ लोग 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाएंगे तो कुछ लोग 15 जनवरी को मनाएंगे. लोगों की दलील का खंडन करते हुए रविंद्र तिवारी कहते हैं कि अगर कोई यह कहता है कि रविवार के दिन तिल नहीं खा सकते हैं तो यह बिल्कुल गलत है क्योंकि किसी भी ग्रंथ या पंचांग या किसी किताब में यह नहीं लिखा है कि रविवार के दिन तिल या खिचड़ी नहीं खाई जाती है. रविंद्र नाथ तिवारी कहते हैं कि मकर राशि के प्रवेश से शनिदेव का प्रवेश हो जाता है क्योंकि मकर राशि शनिदेव का घर माना जाता है. जब शनि देव उस दिन से पूरे माघ महीने और फाल्गुन महीने विराजमान रहेंगे तो शनिदेव का सबसे प्रिय चीज तिल है. उसे खाने में कोई प्रतिबंध नहीं है बल्कि मकर राशि के प्रवेश के बाद तिल किसी दिन भी खाना उचित और शुभ है.
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