धनरूआ का लाई और मनेर के लड्डू का जवाब नहीं, मुगल बादशाह से जुड़ा है तार
बिहार में ये दोनों जगह मिठाई के लिए ही मशहूर है. शायद ही कोई हो जो धनरूआ और मनेर के रास्ते गुजरे और यहां से मिठाई ना खरीदे.
पटना: बिहार के कई जिलों में कुछ न कुछ खास जरूर होता है. चाहे वो खाने पीने का सामान हो या घूमने फिरने की जगह. कई शहरों की मिठाइयां अपने स्वाद के लिए मशहूर है. ऐसी ही मिठाई है मनेरशरीफ का लड्डू औऱ धनरूआ का लाई. पटना से तकरीबन 30 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद मनेरशरीफ का लड्डू और पटना से तकरीबन 40-45 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद धनरूआ का लाई न ही पूरे राज्य में बल्कि देश भर में अपने स्वाद के लिए जाना जाता है.
मुगल बादशाह भी चख चुके हैं लड्डू का स्वाद
स्थानीय लोगों के मुताबिक मुगल बादशाह शाह आलम दोने में भरकर यहां से लड्डू लेकर दिल्ली गए थे. इसके बाद दिल्ली के मिठाई कारीगरों को लेकर मनेर आए. तब दिल्ली से आए कारीगरों ने स्थानीय लोगों को लड्डू बनाना सिखाया था. बाद में यहां के कारीगर लड्डू बनाने में इतने माहिर हो गए कि दिल्ली की तरह सेम लड्डू बनाने लगे और लोगों के मू लग गया बाद में ये लड्डू मनेर के नाम से मशहूर हो गया. ब्रिटिश शासनकाल में यहां के लड्डू का स्वाद अंग्रेजों ने भी भरपूर स्वाद लिया था.
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धनरूआ के लाई की खूशबू पूरे देश में फैली है
मनेर के लड्डू की तरह धनरूआ का लाई भी खूब सुर्खियां बटोरे हुए है. धनरूआ के लाई का स्वाद चखने के लिए बिहार से बाहर रहने वाले लोग भी झोला भरकर ले जाते हैं. शुद्ध खोया और रामदाना से बना ये लाई स्वाद से भरपूर रहता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि धनरूआ का लाई बहुत पुराना है. तकरीबन 100 साल पहले से बन रहा है. जिसे खाने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं.
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