पटना: मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) इस बार 15 जनवरी रविवार को मनाया जाएगा. मकर संक्रांति के दिन नदियों में स्नान-दान और पूजा का विशेष महत्व होता है. इस दिन धार्मिक मान्यता के अनुसार लोग विशेष पूजा करते हैं. वहीं, पटना के फतुहा स्थित राम जानकी मंदिर के पुजारी रामसुंदर राम सुंदर शरण ने बताया कि इस दिन नदियों के संगम और गंगा नदी (Ganges River) में स्नान करना उत्तम माना जाता है. इस दिन नदी में स्नान करने से शनि देवता और भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं.
'पुण्य काल का दिन भी माना जाता है'
रामसुंदर राम सुंदर शरण ने बताया कि मकर संक्रांति मनाने वाले लोगों को इस दिन अवश्य स्नान करना चाहिए. मकर संक्रांति के दिन मकर राशि का प्रवेश होता है. मकर राशि शनिदेव का घर माना जाता है, मकर राशि प्रवेश करते ही शनिदेव भी इस दिन से माघ महीने और फागुन महीने तक विराजमान रहते हैं. शनिदेव के आगमन के साथ शनिदेव के आराध्य देव भगवान विष्णु भी मकर राशि में निवास करते हैं, जहां दो या तीन नदियों का मिलन होता है वहां शनिदेव और विष्णु देव का निवास स्थान होता है. इस वजह से मकर संक्रांति को पुण्य काल का दिन भी माना जाता है.
'इस दिन से सभी शुभ कार्य किए जाते हैं'
जानकी मंदिर के पुजारी ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन अगर संगम पर स्नान नहीं कर रहे हैं तो गंगा नदी या कोई भी नदी जहां जिसमें पानी का बहाव होता है वहां अवश्य स्नान करना चाहिए और भगवान सूर्य की पूजा भी करनी चाहिए. मकर राशि के प्रवेश के साथ ही मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और इस दिन से पूरे छह महीना तक सूर्य उत्तरायण रहते हैं और देवता जागृत अवस्था में रहते हैं. इस वजह से खरमास की समाप्ति होती है, जिससे छह महीना तक सभी शुभ कार्य किए जाते हैं.
स्नान करके ही भोजन ग्रहण करें- पुजारी राम सुंदर शरण
राम सुंदर शरण बताते हैं कि सूर्य उत्तरायण का पहला दिन होने के कारण लोग शुद्ध मन से भगवान की पूजा करनी चाहिए. नदियों में स्नान करना उत्तम माना गया है. नदियों के जल में धारा प्रवाह होती है और नदी के धरातल में बालू होते हैं जिसके कारण अशुद्ध चीजें धारा में बह जाती है और शुद्ध बालू रहते हैं. नदी में स्नान करने से तन और मन दोनों शुद्ध हो जाता है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन अगर नदियों में अगर स्नान नहीं करते हैं तो कहीं भी स्नान करके ही भोजन ग्रहण करें. इस दिन स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन जो ऐसा नहीं करता है धार्मिक मान्यता के अनुसार वह पिचास बनता है.
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