बिहारः व्यवस्था के अभाव में कबाड़खाना में बदल गए सिवान के कई थाने, जब्त गाड़ियों की नहीं होती निलामी
बताया जाता है कि मुफस्सिल थाने में पिछले कई सालों से अलग-अलग मामलों में कई गाड़ियों को जब्त किया गया है. उनकी नीलामी नहीं हो सकी है, जिससे पूरा थाना परिसर कबाड़खाने में बदल गया है. नौतन, असाव और महाराजगंज थाने की भी हालत ऐसी ही है.
सिवानः जिले के थानों में और कबाड़खानों में कोई अंतर नहीं रह गया है. यहां एक ही नहीं बल्कि कई ऐसे थाने हैं जहां वर्षों से गाड़ियां सड़ रही हैं. एक के ऊपर एक गाड़ियों को चढ़ाकर रखा गया है. सिवान के मुफस्सिल थाने से लेकर नौतन, असाव और महाराजगंज के थाने की हालत एक जैसी ही दिखती है.
सिवान के मुफस्सिल थाना की स्थिति को देखकर कोई यकीन नहीं कर पाएगा कि यह वाकई थाना ही है या कोई कबाड़खाना. वहीं नौतन थाना के सामने सड़क के किनारे लंबी कतार में गाड़ियां लगी हैं. असाव और महाराजगंज थाने भी कुछ ऐसा ही है.
मुफस्सिल थाने में कई वर्षों से सड़ रहीं गाड़ियां
बताया जाता है कि मुफस्सिल थाने में पिछले कई सालों से अलग-अलग मामलों में कई गाड़ियों को जब्त किया गया है. उनकी नीलामी नहीं हो सकी है, जिससे पूरा थाना परिसर कबाड़खाने में बदल गया है. अभी थाना परिसर का आलम यह है कि अगर पुलिस छोटी गाड़ियों को भी जब्त करती है तो उसे रखने के लिए पुलिस को अब सोचना पड़ता है.
थाना परिसर में सड़ रही गाड़ियां इक्ट्ठा होने के बावजूद पिछली बार सदर एसडीओ की ओर से सिर्फ एक ही गाड़ी की नीलामी की जा सकी थी. निलामी की प्रक्रिया हमेशा नहीं होने की वजह से थाना परिसर में गाड़ियां सड़ रही हैं.
डीएम या अधिकृत अधिकारी पूरी कराते हैं नीलामी प्रक्रिया
मुफस्सिल थानाध्यक्ष ददन सिंह ने बताया कि नीलामी प्रक्रिया में थाना का कोई रोल नहीं रहता है. जब्ती लिस्ट जमा करने के बाद एमवीआई के द्वारा मूल्यांकन किया जाता है,. उसके बाद वे डीएम को रिपोर्ट करते हैं फिर डीएम के द्वारा विभागीय प्रक्रिया पूरी कराने के बाद नीलामी की प्रक्रिया शुरू होती है.
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