मुजफ्फरपुरः बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में बाढ़ का कहर जारी है. जिसमे गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती सरीख नदियां अपने पूरे शबाब पर है. नदियों के रौद्र रूप लेने के बाद से ही बाढ़ पीड़ितों का सड़कों किनारे और बांध पर शरण लेना जारी है. मुजफ्फरपुर दरभंगा फोर लेन पर जहां गायघाट और आस पास के लोग आसरा तलाश रहे हैं. वहीं बूढ़ी गंडक नदी की वजह से शहर में ही सिकंदर पुर बालू घाट इलाकों में लोग बांध पर अपना आशियाना बना कर रहने को मजबूर हैं.


सिकन्दरपुर इलाके में बाढ़ पीड़ित लोगों के लिए सरकार द्वारा कम्यूनिटी किचन की व्यवस्था की गई है. जिसमें बाढ़ से अपना घर छोड़ कर बांध पर आसरा बनाये लोगों के लिय भोजन की व्यवस्था की गई है. जिले में एक ओर बाढ़ का कहर लोगों का जीना दुस्वार किये हुए है तो दूसरी ओर कोरोना की तीसरी लहर का डर सता रहा है. ऐसे में बाढ़ पीड़ितों को दिए जाने वाले भोजन में न तो सफाई का और न ही उसकी गुणवत्ता का ख्याल रखा जा रहा है.


स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें दिए जाने वाले भोजन में खाना ठीक नहीं रहता है जबकि खाना बनाने के लिए चयनित स्थल भी बांध पर न होकर पानी के बीच है, जहां आसपास गंदगी का अंबार लगा हुआ है. ऐसी स्थिति में जैसा तैसा खाना खाने को लोग मजबूर है. उसके बाद इस तरह से गंदगी और पानी के बीच मिलने वाला भोजन कहीं न कहीं कोरोना संक्रमण को भी आमंत्रण दे रहा है. 


स्थानीय विभा देवी का कहना है कि उनलोगों को इसी तरह प्रतिदिन भोजन दिया जाता है, उसमें भी कभी-कभी एक वक्त का खाना नहीं दिया जाता है. मिलने वाले खाने में कभी भात भी बासी रहता है जिसे गर्म करके दे दिया जाता है. जिसे उन लोगों द्वारा फेंक दिया जाता है. दूसरी ओर स्थानीय स्वयंसेवक अमित कुमार बताते हैं कि सरकार के द्वारा भोजन की व्यवस्था तो की गई है मगर उसका मैनेजमेंट सही नहीं है.भोजन बनाने के लिए ऊंचे स्थल का चयन किया जाना चाहिये था. मगर नीचे पानी में खाना बनाना उचित नहीं है कोरोना काल होने की वजह से भी इन सब बातों का ख्याल रखा जाना चाहिए था.


पूरे मामले की जानकारी मिलने के बाद जिलासूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी कमल सिंह ने बताया कि,आपदा प्रबंध के द्वारा कम्यूनिटी किचन की व्यवस्था की गई है अगर खाने के गुणवत्ता या अन्य कोई कमी पाई जाती है तो संबंधित लोगों पर अनुसासनात्मक करवाई की जाएगी.


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