नालंदा: बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार (Shrawon Kumar) और सांसद कौशलेंद्र कुमार रहुई प्रखंड के टाडापर गांव मंगलवार की रात पहुंचे थे. इस दौरान मुखिया के द्वारा हड़ताल और धरना प्रदर्शन को लेकर मीडिया के सवाल पर श्रवण कुमार ने कहा कि हमारे विभाग के कर्ताधर्ता मुखिया ही है, लेकिन हमको यह बात का समझ में नहीं आ रहा है कि बिहार में तीन साल से प्रधानमंत्री आवास योजना का एक भी लक्ष्य प्राप्त नहीं हुआ है, लेकिन मुखिया लोगों को यह सब दिखाई नहीं देता है. मुखिया को गरीब लोगों की भी चिंता होनी चाहिए, गांव के गरीब बरसात में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. मुखिया लोगों को इन सभी समस्याओं को लेकर केंद्र सरकार से सवाल करना चाहिए. बता दें कि मंगलवार को बिहार शरीफ के हॉस्पिटल मोड़ पर जिले के सभी मुखिया धरना पर बैठे थे.
मुखिया को गरीब मजदूरों की चिंता करनी चाहिए- श्रवण कुमार
श्रवण कुमार ने कहा कि राज्य सरकार मुखिया की समस्या को सुनने का काम करेगी, भारत सरकार के द्वारा मजदूरों के लिए मनरेगा में 33% की कटौती की गई है. अभी भी केंद्र सरकार पर मनरेगा का 1100 करोड़ रुपए बकाया है, भारत सरकार लगातार लोगों के साथ अनदेखी कर रही है. इन सभी समस्याओं को लेकर मुखिया अपनी आवाज को बुलंद क्यों नहीं करते हैं? इन सभी कार्यों को पंचायत के मुखिया ही देखते हैं. इसके बावजूद इन सभी सवालों पर केंद्र सरकार से मुखिया क्यों नहीं सवाल करते हैं. सिर्फ राज्य की सरकार पर लालछन लगाना कहीं से भी उचित है. मुखिया लोगों को चिंता राज्य के गरीब मजदूरों की करनी चाहिए, जो दूसरे राज्यों में जाकर मजदूरी करते हैं.
'हमारी मांगे को जल्द से जल्द सरकार पूरा करे'
धरने पर बैठे मुखिया ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हम लोग से पंचायत भवन को छीन लिया गया है और नल जल योजना जो पंचायत स्तर से काम कराया जाता है उस योजना को भी छीन लिया गया है. एक मुखिया को 2500 रुपए वेतन दिया जाता है बल्कि क्षेत्र के विधायक को दस रुपए प्रति किलोमीटर भत्ता दिया जाता है. मुखिया ने यह भी बताया है कि पहले पंचायत स्तर पर जाति, आय, निवास ग्रामीणों को बनाया जाता था, लेकिन अब प्रखंड कार्यालय जाना पड़ता है जिससे ग्रामीणों को काफी परेशानी हो रही है. हमारी मांगे को जल्द से जल्द सरकार पूरा करे वरना हम लोग अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे.
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