आरा: 80 साल की उम्र में अंग्रेजों के पसीने छुड़ाने वाले भोजपुर के महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह के ऐतिहासिक धरोहर के साथ बदमाशों ने छेड़छाड़ की है. 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही रहे बाबू वीर कुंवर सिंह के किले पर असामाजिक तत्वों ने पेंट से 'अपराधियों का अड्डा' लिख दिया है. ऐसा में भोजपुर पुलिस इस मामले में एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्रवाई में जुटी हुई है.मामला भोजपुर जिले के जगदीशपुर थाना इलाके का है.


इस घटना के बाद कई सवाल उठ रहे हैं. 80 साल की दहाड़ से भी अंग्रेजों के छक्के छूट जाते थे, आखिर उस शख्सियत के सवर्णिम इतिहास के साथ कोई व्यक्ति ऐसा क्यों कर रहा है.


दुनिया के इतिहास में यह पहला उदाहरण है, जब इतने वृद्ध योद्धा ने इस तरह तलवार उठाकर किसी सेना को युद्ध के लिए ललकारा था. देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में बाबू वीर कुंवर सिंह को शेर माना जाता था. ये भोजपुर के महानायक होने के साथ-साथ पूरे बिहार के गौरव थे. उनके किले के साथ छेड़छाड़ करने की जानकारी मिलते ही अधिकारियों के बीच हड़कंप मच गया है.


वीर कुंवर सिंह के वंशज रोहित सिंह का आरोप है कि पूरा किला परिसर शाम होते ही नशा करनेवालों से भर जाता है. कई बदमाश यहां बैठकी लगाते हैं. किले के आसपास शराब बेचा जाता है. बदमाश हेरोइन भी बेचते हैं. असामाजिक तत्व शराब पीकर यहां उत्पात मचाते हैं. लेकिन पुलिसकर्मी उनके ऊपर कोई एक्शन नहीं लेते हैं. उनका आरोप है कि इस ऐतिहासिक किले की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिस पुलिसकर्मी या गार्ड को दिया गया है, वे लोग भी अपनी ड्यूटी से गायब रहते हैं.


आपको बता दें कि इससे पहले भी इस किले के साथ छेड़छाड़ हो चुकी है. असामजिक तत्वों ने कुंवर सिंह किला सह संग्रहालय पर लिखावट और छेड़छाड़ की थी. इस बार भी किले पर "अपराधियों का अड्डा" लिखे जाने से स्थानीय लोगों में आक्रोश है. कुछ साल पहले किले पर शरारती तत्वों ने पेंट कर दिया था.


इस घटना के बाबत भोजपुर जिले के एसपी सुशील कुमार ने बताया कि इस मामले की तफ्तीश की जा रही है. जगदीशपुर थाना में एफआईआर दर्ज किया गया है. मिली जानकारी के आधार पर नामजद व्यक्ति के ऊपर मामला दर्ज किया गया है. फिलहाल पुलिस आगे की कार्रवाई में जुटी हुई है. जगदीशपुर एसडीओ ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन की टीम फ़ौरन कार्रवाई में जुट गई है. पुलिस की ओर से एक्शन लिया जा रहा है.


आपको बता दें कि बाबू कुंवर सिंह का जन्म सन् 1777 में बिहार के शाहाबाद (अब भोजपुर) जिले के जगदीशपुर के उज्जैनी क्षत्रिय (परमार) राज परिवार में हुआ था. पिता राजा साहबजादा सिंह थे और मां रानी पंचरत्न देवी थीं. ये परिवार राजा विक्रमादित्य और राजा भोज का वंशज माना जाता है. वीर शिवाजी के बाद वह पहले ऐसे भारतीय योद्धा थे, जो गुरिल्ला लड़ाई में सिद्धहस्त थे.


पहले स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिहार में जुलाई 1857 को दानापुर में सैनिकों ने विद्रोह कर दिया था. वीर कुंवर सिंह ने इनका नेतृत्व सम्भाला था. यह वही वीर कुंवर सिंह हैं, जो एक बार अपने दस्ते के साथ गंगा नदी पार कर रहे थे, तभी डगलस के सैनिकों ने गोलीबारी शुरू कर दी थी. एक गोली उनकी कलाई पर लगी, जिसके संक्रमण फैलने के खतरे से अपना हाथ काटकर नदी को समर्पित कर दिया था.