पटना: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की लोकसभा (Loksabha) की सदस्यता जाने के विरोध में सोमवार (27 मार्च) को महागठबंधन के विधायक और विधान पार्षदों ने विधानसभा के गोल चक्कर से सदन तक मार्च किया. इस दौरान जेडीयू (JDU) के विधायक और विधान पार्षद भी मार्च में शामिल थे. इस मौके पर कांग्रेस विधायक दल के नेता अजित शर्मा ने राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करने की मांग की.


अजित शर्मा ने कहा कि विरोधियों की आवाज दबाने की कोशिश है. जब तक सदस्यता बहाल नहीं की जाएगी तब तक सदन से सड़क तक लड़ाई जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि विपक्ष डरने वाला नहीं है. मार्च के बाद महागठबंधन विधायकों ने विधानसभा पोर्टिको में बैनर पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.


राहुल के मुद्दे पर एकजुट दिखा महागठबंधन


इस बार राहुल के मुद्दे पर महागठबंधन पूरी तरह एकजुट दिखाई दे रहा है. इससे पहले पिछली बार मार्च से जदयू नेता गायब थे. दरअसल, लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद की सदस्यता को रद्द कर दिया है. सूरत कोर्ट ने मानहानि मामले में राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी.


दरअसल, जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हुई, हो तो ऐसे में उनकी सदस्यता संसद और विधानसभा से रद्द हो जाएगी. इतना ही नहीं, सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी होते हैं.


इस आरोप में राहुल के खिलाफ हुई कार्रवाई


सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है. इस बयान से जुड़े मानहानि केस में राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने दोषी करार दिया था. उन्हें 2 साल की सजा और 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल ने अपने भाषण में कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों है. चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो, चाहे नरेंद्र मोदी. हालांकि राहुल गांधी को अदालत की ओर से जमानत भी दे दी गई थी. सजा के अमल पर 30 दिनों तक के लिए रोक लगा दी थी ताकि कांग्रेस नेता फैसले को चुनौती दे सकें. आनन-फानन में लोकसभा सचिवालय की ओर से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता जनप्रधिनि अधिनियम के तहत समाप्त कर दी गई.


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