पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण की रफ्तार पर ब्रेक लग गया है. मरीजों की संख्या में आई कमी के बाद सरकार और जनता दोनों सुकून महसूस कर रही है. हालांकि, विपक्ष अब भी हमलावर है. कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद मिश्रा ने शनिवार को राज्य में कोरोना की स्थिति में आई सुधार पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लॉकडाउन की वजह से स्थिति में सुधार दिख रही है, इसमें सरकारी चिकित्सा व्यवस्था का कोई योगदान नहीं है. ऐसे में कोरोना के घटते आंकड़ों पर सरकार का क्रेडिट लेना हास्यास्पद है. 


लॉकडाउन लगाए रखने की जरूरत है


उन्होंने कहा कि अप्रैल महीने में जब विपक्ष ने लॉकडाउन लगाने की मांग की थी, तब सरकार ने लॉकडाउन नहीं लगाकर स्थिति को बिगड़ने दिया, जिससे कोरोना बेकाबू हो गया. अगर समय रहते लॉकडाउन लगा होता तो मृतकों की संख्या राज्य में कम होती और संक्रमण की चेन को पहले ही तोड़ा जा सकता था. उन्होंने कहा, " अभी कुछ दिन और लॉकडाउन लगाए रखने की जरूरत है और उम्मीद है कि सरकार इस संबंध में जल्दबाजी नहीं करेगी."


तीसरी लहर को लेकर किया आगाह


प्रेमचंद मिश्रा ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि उन्हें कोरोना के संभावित तीसरे लहर से बचाव की तैयारी अभी से शुरू कर देनी चाहिए और पर्याप्त आईसीयू बेड, चालू अवस्था में वेंटिलेटर और पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेंडर की उपलब्धता सुनिश्चित करना चाहिए. 


उन्होंने राज्य के अस्पतालों में भर जल जमाव को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि ऐसी नारकीय अवस्था में कोरोना पीड़ित या ब्लैक फंगस मरीजों को कैसे और कब तक बचाया जा सकता है? सवाल खड़ा होना स्वाभाविक है कि आखिर हजारों करोड़ का बजट चाहे वह स्वास्थ्य का हो या नगर विकास विभाग का कहां जाता है ?


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