Mokama News: बिहार की दो विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में सबसे अधिक नजर मोकामा पर है. कई कारण हैं जिसके चलते यह हॉट सीट बना है. तीन नवंबर को मतदान होना है और छह नवंबर को वोटों की गिनती होगी. इधर, मतदान से दो दिन पहले मंगलवार को एबीपी न्यूज ने लोगों के मूड को समझने की कोशिश की. पता चला कि अलग-अलग इलाकों के साथ लोगों की राय भी कई बिंदुओं पर अलग है. ज्यादातर लोगों ने यही कहा कि टक्कर तो जबरदस्त है सर... आइए आंकड़ों और जनता का क्या मूड है इसके जरिए इस सीट को समझने की कोशिश करते हैं कि यहां क्या चल रहा है.


सबसे पहले यह जान लें कि मोकामा विधानसभा सीट से उपचुनाव में छह प्रत्याशी मैदान में हैं. मुख्य लड़ाई महागठबंधन से आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी और बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ रहीं बाहुबली ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी के बीच है. यह बता दें कि मोकामा विधानसभा से बीजेपी कभी चुनाव नहीं लड़ी थी. हर बार मोकामा सीट के बीजेपी अपने महागठबंधन जेडीयू या एलजेपी को ही सहयोग करती थी.



भूमिहार और धानुक समाज करेगा निर्णय


एबीपी की टीम ने लोगों के मूड को समझने के लिए चार ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया. अलग-अलग इलाकों में लोगों ने अलग-अलग बातें कहीं. जातीय समीकरण की बात करें तो मोकामा विधानसभा सीट पर सवर्ण जाति और धानुक जाति का निर्णायक वोट होता है. यहां सवर्ण जाति के सबसे अधिक लगभग एक लाख दस हजार के आसपास भूमिहार एवं ब्राह्मण वोटर हैं. इसके बाद लगभग 50 हजार के आसपास धानुक जाति के वोटर हैं. इसके अलावा लगभग 40 हजार के आसपास दलित वोटर हैं जिसमें 20 हजार के करीब पासवान जाति के हैं. राजपूत, यादव वोटर 10 से 15 हजार के बीच में हैं. मुस्लिम वोटर की संख्या लगभग तीन से चार हजार है. दूसरे जातियों के मिले जुले लगभग 30 से 40 हजार वोटर हैं. यहां भूमिहार और धानुक का निर्णायक वोट है. नीलम देवी और सोनम देवी दोनों भूमिहार जाति से हैं. 


टाल क्षेत्र के लोगों ने कहा- दोनों के बीच कड़ी टक्कर


ग्रामीण क्षेत्रों के मुआयने और लोगों से बातचीत के बाद जो निकलकर सामने आया उसके अनुसार अगर भूमिहार वोटर में सेंधमारी होती है और धानुक वोटर को बीजेपी अपने पक्ष में करने में सफल हो जाती है तो महागठबंधन का खेल बिगड़ सकता है. वैसे महागठबंधन के लोग आस्वस्थ हैं कि उनकी जीत पक्की है. एबीपी न्यूज ने टाल क्षेत्र के धानुक समाज, राजपूत समाज और भूमिहार समाज के लोगों से बात की. पता चला कि रास्ता आसान किसी के लिए नहीं है. ज्यादातर चुप्पा वोटर मिले, लेकिन अधिकांश वोटर कुछ भी बोलने से इनकार करते रहे. इतना जरूर कहा कि दोनों के बीच कड़ी टक्कर है. 


नीलम देवी के पति अनंत सिंह 2020 में 38 हजार वोटों से चुनाव जीते थे. वे जेडीयू प्रत्याशी राजीव लोचन सिंह को हराए थे, लेकिन मोकामा विधानसभा सीट पर इस बार का समीकरण बदला हुआ नजर आ रहा है. बीजेपी हर इलाके में जातीय नेताओं को भेजकर वोट पर सेंधमारी करने में जुटी है. कुछ लोगों ने बताया कि नीतीश कुमार इस बार महागठबंधन के साथ हैं और नीलम देवी महागठबंधन के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. इसमें अधिकांश वोटरों ने यह भी कहा कि अगर नीलम देवी निर्दलीय रहतीं तो ज्यादा अच्छा था. कई लोगों ने कहा कि उपचुनाव भी तो नीतीश कुमार के कारण हो रहा है. ज्यादातर लोग अनंत सिंह से कम और नीतीश सरकार से ज्यादा खफा दिख रहे हैं. कई गांव में यह भी कहा गया कि परिवर्तन तो जरूरी है. 


अलग-अलग वोटर अलग-अलग अंदाज


ग्राउंड रिपोर्ट के लिए एबीपी की टीम सबसे पहले मोकामा टाल क्षेत्र के अजगरा गांव, इसके बाद शीलदाहि गांव, चंदा गांव और घोसवरी पहुंची. अलग-अलग वोटरों का अलग-अलग अंदाज दिखा. एक 70 वर्षीय बुजुर्ग से पूछा गया कि क्या बदलाव चाहिए तो उन्होंने कहा बदलाव तो जरूरी है. एक अधेड़ व्यक्ति ने कहा कि टक्कर तो जबरदस्त है. उनसे पूछा गया कि विकास हुआ है तो कहा कि रोड बना है, विधायक जी तो जेल में रहते हैं. बुनियादी सुविधा कौन देखने आता है. इतने में कुछ अनंत सिंह के समर्थक आ गए जिन्होंने कहा कि नीलम देवी जीत रही हैं जिसके बाद गांव के अन्य लोग चुप्पी साध ली. एक युवा ने कहा कि अनंत सिंह 18 साल से विधायक तो हैं लेकिन हमारे यहां सड़क अब बन रही है. विधायक जी तो जेल में रहते हैं. उनके आदमी से कुछ कहते हैं तो कोई सुनता नहीं है.


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