रोहतास: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की तारीफ की थी. साथ ही ये दावा किया था कि वहां सारी व्यवस्था दुरुस्त है. सभी व्यवस्था पर नजर रखी जी रही है. हालांकि, आज ही सासराम में ऐसी घटना सामने आई, जिसने मुख्यमंत्री के दावों को झूठा साबित कर दिया. घटना सासाराम सदर अस्पताल की है, जहां एक बूढ़ी मां अपने बीमार जवान बेटे को कंधे पर उठाकर अस्पताल में इस वार्ड से उस वार्ड घूमती नजर आई.
जानें क्या है पूरा मामला?
इस दौरान किसी स्वास्थ्यकर्मी ने उनकी मदद नहीं की. बता दें कि नोखा थाना के कदवा गांव निवासी दिव्यांग युवक योगेश चौधरी मजदूरी कर किसी तरह अपना जीवन यापन करता है. पिछले दिनों मजदूरी कर लौटने के दौरान साइकिल से गिर जाने की वजह से उसके पैर में गंभीर चोट आई तथा फैक्चर हो गया. ऐसी स्थिति में प्रमिला देवी नामक महिला अपने जख्मी दिव्यांग बेटे को किसी तरह नोखा से लेकर सदर सासाराम पहुंची तथा फिर सासाराम आकर ऑटो से उतरने के बाद उसे किसी तरह अपने पीठ पर टांग कर अस्पताल पहुंची.
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इतना ही नहीं, अस्पताल के विभिन्न वार्ड में भी उसे कुछ इसी तरह घूमते देखा गया. यहां तक कि वार्ड से अस्पताल के एक्सरे रूम तक मां अपने कंधे पर ही बेटे को उठाकर जाती दिखी. लेकिन किसी स्वास्थ्य कर्मी ने स्ट्रेचर या व्हीलचेयर देकर उसकी मदद नहीं की. जबकि अस्पताल में तमाम तरह के उपकरण उपलब्ध हैं. इधर, जब इस संबंध ने एबीपी न्यूज ने सिविल सर्जन से प्रतिक्रिया लेनी चाही तो उन्होंने कहा कि हम इसपर क्या बोलें. ये तो आम बात है.
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