पटना: बिहार सरकार में मंत्री मुकेश सहनी के एनडीए की बैठक का बहिष्कार करने के बाद से सूबे की सियासत गरमाई हुई है. सहनी के बैठक में शामिल नहीं होने की वजह से नया विवाद खड़ा हो गया है. इधर, सहनी को पार्टी में टूट का डर सता रहा है. बुधवार को उन्होंने खुद इस बात का जिक्र किया है. कथित तौर पर पार्टी विधायकों के बरगलाए जाने की बात से गुस्साए सहनी ने बिना नाम लिए बीजेपी पर निशाना साधा और कहा कि हमारी पार्टी एक जुट है. टूट की कोई संभावना नहीं है. जो लोग पर्दे के पीछे से खेल खेल रहे हैं, वो सावधान हो जाएं.
पार्टी में कहीं कोई मतभेद नहीं
नाराजगी जाहिर करते हुए सहनी ने कहा, " सभी को पता है कि हमारी पार्टी का नाम वीआईपी ( विकाशशील इंसान पार्टी) है. हमारे जितने भी विधायक हैं, सब पार्टी के साथ हैं. सब वीआईपी हैं और सभी अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र हैं. सभी पार्टी के अंदर मजबूती से अपनी बात रख सकते हैं. कहीं पर कोई मतभेद नहीं हैं. सब एक साथ हैं. कहीं कोई ताकत नहीं है, जो हमारे विधायक को गुमराह कर सकता है या लोभ लालच दे सकता है. हम एक साथ मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं.
'पर्दे में आग लगा दूंगा'
सहनी ने कहा, " कुछ लोग हैं, जो पर्दे के अंदर रह कर हमारी पार्टी को तोड़ना चाहते हैं. वो हमारी पार्टी तोड़ने की सोच रहे हैं. वैसे लोगों को कहना चाहता हूँ कि दम है तो पर्दे के बाहर आएं. नहीं तो मैं पर्दे में आग लगा दूंगा. मेरा नाम सन ऑफ मल्लाह है. इसलिए सोच समझ कर अपनी रणनीति बनाइयेगा. ये वीआईपी है."
मालूम हो कि एनडीए की बैठक के बहिष्कार के बाद ऐसी खबरें सामने आई थीं कि वीआईपी विधायकों को तोड़ने की कोशिश की जा रही है. पार्टी विधायक राजू सिंह का बयान सामने आने के बाद इन बातों को और हवा मिल रही थी. लेकिन सभी चर्चाओं के बीच सहनी ने खुद सामने आकर खुले तौर पर एलान कर दिया है कि जो उनकी पार्टी को तोड़ने की कोशिश करेंगे, वो उन्हें बिल्कुल नहीं बख्शेंगे.
पार्टी विधायक ने कही थी ये बात
मालूम हो कि बैठक में शामिल नहीं होने के मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए वीआईपी एमएलए राजू सिंह ने कहा था कि मुकेश सहनी ने एनडीए की बैठक में शामिल नहीं होकर गलत फैसला लिया है. इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी अध्यक्ष ने इस फैसले के पहले विधायकों के साथ कोई चर्चा भी नहीं की. राजू सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि यह फैसला पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी का व्यक्तिगत निर्णय था. पार्टी में को-ऑर्डिनेशन की कमी है.
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