पटना: बिहार सरकार के बाद अब मुुंबई पुलिस ने भी पटना में FIR दर्ज करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया है. मुुंबई पुलिस की ओर दायर हलफनामे के अगर सार की बात करें तो वो यह है कि सुशांत आत्महत्या मामले में पटना पुलिस की ओर से एफआईआर दर्ज करने का कोई कानूनी आधार नहीं है. चूंकि इस घटना से जुड़े सारे घटनाक्रम मुुंबई में घटित हुए हैं. ऐसे में इस मामले में जांच करने का अधिकार केवल मुुंबई पुलिस के पास है.


हलफनामे में यह भी कहा गया है कि CBI को इस जांच को टेकओवर नहीं करना चाहिए था. CBI तब तक इस मामले में जांच शुरू नहीं कर सकती है जब तक राज्य सरकार कंसेंट न दे. अब तक महाराष्ट्र सरकार ने कंसेंट नहीं दिया है ऐसे में सीबीआई के पास FIR दर्ज कर जांच शुरू करने का कोई अधिकार नहीं है.


हलफनामे में कहा गया है कि सुशांत आत्महत्या मामले में पटना में FIR दर्ज करने और उस FIR की जांच CBI को ट्रांसफर करने का कोई कानूनी आधार नहीं है और ना ही हो सकता है. केवल गंभीर आरोपों को आधार मानकर FIR दर्ज करना, बिहार पुलिस की ओर से जांच शुरू करना या CBI को मामले की जांच सौंपना यह आधार नहीं हो सकता है.


हलफनामे में IPS विनय तिवारी को क्वारंटीन किए जाने के संबंध में भी सफाई दी गयी है. मुुंबई पुलिस ने कहा कि जांच के लिए आए IPS विनय तिवारी को BMC के पदाधिकारियों द्वारा उनके नियम कानून के अनुसार क्वारंटीन किया गया था, मुुंबई पुलिस का उससे कोई लेना-देना नहीं है. अब तो विनय तिवारी अपने राज्य पहुंच चुके हैं, ऐसे में इस मुद्दे पर बात करने की जरूरत नहीं है.


जानिए हलफनामे के 3 महत्वपूर्ण पॉइंट-


1. हलफनामे में कहा गया है कि बिहार पुलिस ने यह जानते हुए कि मामले की जांच मुुंबई में चल रही है, एक भी बार FIR दर्ज करने के पहले मुुंबई पुलिस की सूचना नहीं दी.


2. अभिनेता के परिजनों ने एक बार भी मुुंबई के किसी भी थाने में FIR कराने की कोशिश नहीं की है. जिस वक्त मौत हुई थी उस वक़्त किसी कोई कोई शक नहीं था और यह बात ऑन रिकॉर्ड है.


3. पटना के राजीवनगर थाने में दर्ज FIR में जो भी आरोप लगाए गए हैं, उन में से एक भी घटना का पटना के उक्त थाने, या किसी भी थाने से कोई संबंध नहीं है. ऐसा में मामले की जांच से जुड़े सभी अधिकार बांद्रा थाना पुलिस के पास है.