मोतिहारी: नगर परिषद से हाल ही में नगर निगम में उत्क्रमित हुए पूर्वी चंपारण के मोतिहारी में नगर आयुक्त की मनमानी का मामला सामने आया है. नगर आयुक्त पर सरकारी पैसे का मनमाने ढंग से खर्च करने का आरोप लगा है. आरोप है कि नगर आयुक्त ने क्षेत्र में घटिया क्वालिटी का स्टील डस्टबिन लगाया. फिर मामला उजागर होने के बाद जब डीएम ने डस्टबिन खरीद की भुगतान पर रोक लगायई तो नगर आयुक्त ने मनमानी करते हुए 70 लाख रुपये का भुगतान कर दिया.
तीन बार बनाई गई जांच कमेटी
इस पूरे मामले को मजबूती से उठाते हुए सत्ताधारी दल बीजेपी (BJP) के नेता व अल्पसंख्यक मोर्चा पूर्वी चंपारण इकाई के जिलाध्यक्ष मोहिबुल हक ने निगम आयुक्त के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. बीजेपी नेता ने नगर आयुक्त की मनमानी का एक पीसी में जिक्र करते हुए कहा कि बोर्ड की बैठक में भुगतान पर रोक लगाई थी. डीएम ने खुद डस्टबीन खरीद के मामले में तीन-तीन बार जांच टीम बनाई और भुगतान नहीं करने का निर्देश दिया.
बीजेपी नेता ने कहा, " जांच टीम की रिपोर्ट जिलाधिकारी को अभी सौंपी भी नहीं गई है. लेकिन इसी बीच नगर आयुक्त द्वारा बोर्ड भंग होने के बाद सारे नियमों को ताक पर रखकर डस्टबिन खरीद के मद में खर्च 70 लाख रुपये का संबंधित एजेंसी को भुगतान कर दिया है."
सफाई व्यवस्था पर भी उठाया सवाल
मोहिबूल हक ने नगर की सफाई व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि प्राइवेट एजेंसी के जिम्मे जब से सफाई व्यवस्था दी गई है, तब से शहर की स्थिति और नारकीय हो गई है. उनका कहना है कि नगर आयुक्त जिले के माननीय के संबंधी होने का नाजायज फायदा उठाते हैं.
इधर, इस संबंध में जब जिले के डीएम शीर्षत कपिल अशोक से बात की गई तो उन्होंने माना कि डस्टबीन जांच के लिए गठित टीम ने जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी है. भुगतान कैसे हुई इसकी समीक्षा की जाएगी. कई जगहों से डस्टबिन की शिकायत आ रही है. ऐसे में पूरे मामले की जांच कराकर शीघ्र ही कार्रवाई की जाएगी.
जानें क्या है पूरा मामला
बता दें कि मोतिहारी नगर परिषद के निगम में उत्क्रमित होने के पूर्व ही शहर को कचरा मुक्त करने के लिए स्टील के डस्टबिन की खरीद हुई थी, जिसके गुणवत्ता और दाम पर सवाल उठाए गए थे. डस्टबीन खरीद का मुद्दा काफी सुर्खियों में रहा था. इस कारण बोर्ड की मीटिंग में डस्टबिन खरीद के भुगतान पर रोक लगाते हुए डीएम को इसकी सूचना दे दी गई थी. डीएम ने भी अपने स्तर से डस्टबीन खरीद की जांच को लेकर कमिटी का गठन किया था. लेकिन जांच रिपोर्ट आने के पूर्व ही डस्टबिन खरीद का भुगतान कर दिया गया, जिस पर विवाद शुरू हो गया है.
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