पटना: बिहार में कई नेता ऐसे हैं, जो अपने कामों के लिए नहीं बल्कि अपनी दबंगई के लिए जाने जाते हैं. प्रदेश में बाहुबलियों के दौर की चर्चा हमेशा होती रहती है. चाहे वो तेजाब से नहला कर मार देने वाले की शहाबुद्दीन की चर्चा हो या 80-90 के दशक में आतंक पैदा करने वाले कुख्यातों की. लोग आज भी उस दौर को याद कर कांप जाते हैं. इसी कड़ी में उस बाहुबली की भी चर्चा होगी जो जेल में डांस पार्टी कराता था, जिस पर बिहार सरकार के तत्कालीन मंत्री और बाहुबली बृजबिहारी प्रसाद की हत्या को अंजाम देने का भी आरोप लगा था. इस बाहुबली का नाम है मुन्ना शुक्ला.
कौन है मुन्ना शुक्ला?
मुन्ना शुक्ला बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के लालगंज विधानसभा क्षेत्र का रहने वाला है. कहा जाता है, राज्य और देश में जितनी मुजफ्फरपुर की लिची फेमस नहीं है, उससे कई ज्यादा मुन्ना शुक्ला का नाम फेमस है. शुरूआती दिनों में इनका अपराध की दुनिया से कोई नाता नहीं था. भाइयों में छोटे होने के कारण मुन्ना के माथे पर कोई जिम्मेदारी नहीं थी. हालांकि, भाई की हनक ने मुन्ना को रंगदार जरूर बना दिया था. फिर भी ये अपराध की दुनिया से दूर थे. लेकिन बाहुबली भाई की हत्या के बाद मुन्ना शुक्ला ने आपा खो दिया और हाथों में एके-47 उठा लिया. इस बाहुबली को भूमिहार गैंगस्टर के तौर पर जाना जाता है.
जानकार बताते हैं कि मुजफ्फरपुर में दो गुट थे. एक कौशलेंद्र शुक्ला उर्फ छोटन शुक्ला का गुट, जिसे बाहुबली राजपूत नेता आनंद मोहन सिंह की सरपरस्ती हासिल थी. वहीं, दूसरा ओंकार सिंह का गुट जिसे पिछड़ी जाति के बाहुबली नेता बृज बिहारी प्रसाद का समर्थन मिला था. इन दोनों गुटों में आए दिन जाति के वर्चस्व को लेकर गैंगवार होते थे. सियासी सरपरस्ती मिलने के बाद छोटन शुक्ला ने भी गुनाह की गलियों में कदम रखा और बहुत जल्द सरकारी ठेकों का बेताज बादशाह बन गया. लेकिन मुजफ्फरपुर में अंडरवर्ल्ड को जन्म देने वाले कौशलेंद्र शुक्ला उर्फ छोटन शुक्ला की 4 दिसंबर, 1994 को एके-47 से हत्या कर दी गई. इसका आरोप बाहुबली बृजबिहारी प्रसाद के करीबी ओंकार सिंह पर लगा.
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बड़े भाई छोटन शुक्ला की हत्या ने बनाया गुंडा
बड़े भाई की हत्या के बाद मुन्ना शुक्ला टूट गया और छोटन शुक्ला के गैंग में खलबली मच गई. तब मुन्ना शुक्ला अपराध की दुनिया में कदम रखने के लिए बेचैन हो गया और भाई के विरोधी खेमे के शूटरों की तलाश करने में लग गया. इसी क्रम में मुन्ना ने एक दिन ओंकार सिंह के सात गुर्गों को गोलियों से भून दिया, जिस पर उसे उसके भाई की हत्या करने का शक था. हालांकि, शुक्ला ब्रदर्स का बदला अभी पूरा नहीं हुआ था क्योंकि बृजबिहारी प्रसाद अभी जिंदा था.
बृजबिहारी प्रसाद को भी अंदाजा था कि मुन्ना शुक्ला उसकी जान का दुश्मन बना हुआ है. लिहाजा, उसने अपनी फौज बड़ी कर ली. लेकिन एक दिन अगड़ी जाति के गैंगस्टर ने मिलकर पुलिस कस्टडी के बीच ही पटना के आईजीआईएमएस में घुस कर बाहुबली बृजबिहारी प्रसाद को गोलियों से भून डाला. बिहार को हिला देने वाली इस वारदात के बाद सरकार में खलबली मच गई. इस घटना का आरोप बाहुबली सूरजभान सिंह, प्रकाश शुक्ला, राजन तिवारी, मुन्ना शुक्ला, मंटू तिवारी, भूपेंद्र नाथ दुबे, सुनील सिंह सहित अनुज प्रताप सिंह, सुधीर त्रिपाठी, सतीश पांडे, ललन सिंह, नागा, मुकेश सिंह, कैप्टन सुनील पर लगा.
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सियासत में उतरा, जेल में कराया नाच
इस घटना के बाद अपराध की दुनिया में मुन्ना शुक्ला एक बड़ा नाम बन चुका था. हालांकि, बृज बिहारी हत्याकांड के सभी आरोपी जेल पहुंच गए. लेकिन गुनाह की दुनिया से पाक साफ निकलने का रास्ता उसे सियासत की ओर ले आया और साल 2000 में हाजीपुर जेल में रहते हुए मुन्ना शुक्ला ने लालगंज विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.