Bakrid In Patna: मुस्लिम भाइयों का पवित्र त्यौहार बकरीद सोमवार (17 जून) को धूमधाम से मनाई गई. बकरीद को लेकर पटना के गांधी मैदान सहित डेढ़ सौ से ज्यादा ईदगाहों पर सुबह सवेरे नमाज अदा की गई. बकरीद के मौके पर मुस्लिम भाईयों ने नमाज अदा करके अल्लाह से सुख और समृद्धि की दुआ मांगी. नमाज खत्म होने के बाद एक दूसरे को गले मिलकर बकरीद की बधाई दी गई.
बूढ़े और बच्चों में भी दिखा काफी उत्साह
इस मौके पर बड़े से लेकर बूढ़े और छोटे-छोटे बच्चों में भी खासा उत्साह देखा गया. बच्चे भी नमाज के प्रति जागरूक दिखे. इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, हर साल आखिरी माह ईद उल-अजहा की 10वीं तारीख को बकरीद का पर्व मनाया जाता है. ये पर्व पैगंबर हजरत इब्राहिम के कुर्बानी देने की प्रथा से शुरू हुआ था. इसलिए इस पर्व को कुर्बानी भी कहा जाता है.
पर्व के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि जब पैगंबर इब्राहिम ने अल्लाह की मर्जी की खातिर अपने बेटे को खुदा की राह में कुर्बान (बलि) करने वाले थे, उसी वक्त अल्लाह ने अपने दूत को भेजकर बेटे को एक बकरे से बदल दिया था, तभी से बकरा ईद पैगंबर इब्राहिम के विश्वास को याद करने के लिए मनाई जाती है.
हर बुरी चीज को कुर्बान करने का संदेश
नमाज अदा करने के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बताया कि यह पर्व मुख्य रूप से कुर्बानी का है. वैसे तो कुर्बानी बकरे की दी जाती है, लेकिन यह पर्व संदेश देता है कि आप हर बुरी चीज को कुर्बान करो. सबसे अधिक नफरत को कुर्बान करो और एक दूसरे से प्रेम करो. सिर्फ बकरे की कुर्बानी से अल्लाह खुश नहीं होते सर्वधर्म समभाव रखना ही बकरीद का मुख्य उद्देश्य है.
कई लोगों ने बताया कि बकरीद मुख्य रूप से त्याग का पर्व है. आज बकरे की कुर्बानी दी जाती है, लेकिन जो सक्षम है वही कुर्बानी देंगे. कर्ज लेकर कुर्बानी देने की प्रथा बकरीद में नहीं है और जो सक्षम नहीं हैं उनकी सेवा की जानी चाहिए. यही मुख्य उद्देश्य है और सभी लोगों को अल्लाह का आदेश समझकर इसे मनाना चाहिए उसी से अल्लाह खुश होते हैं.
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