मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के आंख अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने के बाद जिनकी तबीयत बिगड़ी या जिनकी आंखों को निकाला गया, उनके दोषी और कोई नहीं बल्कि इलाज करने वाले डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी ही हैं. उनकी लापरवाही की वजह से 15 से भी अधिक लोगों की जिंदगी में अंधेरा छा गया. दरअसल, मोतियाबिंद का ऑपरेशन मामले की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित जिला स्तरीय पांच सदस्यीय टीम के माइक्रो बायोलॉजी द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट में ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल किए गए कमरे को संक्रमित माना गया है. साथ ही स्टर्लाइजेशन में गड़बड़ी को लोगों की आंखों में इंफेक्शन का मुख्य कारण बताया गया है.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि मुजफ्फरपुर जिले के आई हॉस्पिटल में बीते 22 नवंबर को 65 लोगों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था. ऑपरेशन के कुछ दिनों बाद तक सब कुछ ठीक रहा. हालांकि, उसके बाद लोगों के आंखों में समस्या आने लगी. धीरे-धीरे समस्या बढ़ी, जिसके बाद लोगों के आंखों को निकालने का सिलसिला शुरू हुआ. आंखों की रोशनी खोने वाले सभी लोग गरीब तबके के हैं, जो मेहनत-मजदूरी कर परिवार का पेट पालते थे.
इस लापरवाही के सामने आने के बाद बवाल मचा हुआ है. पूरा स्वास्थ्य महकमा सकते में आ गया है. आनन फानन मामले की जांच कराते हुई कार्रवाई का दौर शुरू हो गया है. अस्पताल को सील कर दिया गया है, जांच कमेटी बैठाई गई है. साथ ही मामले में एफआईआर भी दर्ज कर ली गई है. अब तक 15 लोगों के आंखों को निकाला जा चुका है. वहीं, बाकी बचे लोगों को बेहतर इलाज के लिए पटना बुलाला गया है. इनमें से कुछ के आंखों को निकालने की तैयारी चल रही है.
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