पटनाः वेतन लौटाने को लेकर चर्चा में आए नीतीश्वर कॉलेज के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर ललन कुमार की कहानी वैसी नहीं है जैसी खबरें मीडिया में चलीं. कॉलेज में बच्चों की उपस्थिति को लेकर भी कोई कारण नहीं है. कारण तब पता चला जब इस मामले में बीते गुरुवार को कॉलेज में एक बैठक हुई. बैठक के बाद पता चला कि सहायक प्रोफेसर डॉक्टर ललन कुमार तो कुछ और चाहते हैं. उनके बयान को मीडिया में गलत तरीके से चलाया गया है. बैठक में इन सब पर चर्चा होने के बाद पूरा मामला ही पलट गया है.
गुरुवार को बिहार विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के नीतीश्वर कॉलेज इकाई की बैठक हुई. डॉ. सरिता कुमारी ने बैठक की अध्यक्षता की. इस दौरान बैठक में सहायक प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार भी थे. उन्होंने ने भी इस बात को स्वीकार किया. कहा गया कि उनकी बात को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करने के कारण इंटरनेट मीडिया, आम जनता, छात्रों और जनमानस पर गलत प्रभाव पड़ा है. संघ के कॉलेज सचिव डॉ. रवि रंजन ने कहा कि बच्चों का कक्षा में आना डॉ. ललन का मुद्दा नहीं है बल्कि वे चाहते हैं कि पीजी में उनका स्थानांतरण हो जाए.
पहले क्या आई थी खबर?
खबर यह आई कि डॉ. प्रोफेस ललन कुमार ने दो साल नौ महीने तक स्टूडेंट को नहीं पढ़ाया है इसलिए वह इस वेतन को नहीं ले सकते हैं. प्रोफसर ने पूरी सैलरी 23 लाख 82 हजार रुपये विवि को लौटा दिए. उन्होंने चेक दिया है. चेक को उन्होंने बीते मंगलवार को कुलसचिव डॉ. आरके ठाकुर को चेक सौंपा था. यह बात जब सामने आई तो लोग हैरान रह गए. शुरुआत में कुलसचिव ने चेक लेने से इंकार कर दिया था, लेकिन बाद में उन्होंने स्वीकार किया. डॉ. ललन कुमार ने कहा था कि वो नीतीश्वर कॉलेज में अपने अध्यापन कार्य के प्रति कृतज्ञ महसूस नहीं कर रहे हैं इसलिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बताए ज्ञान की आवाज पर वेतन की राशि विवि को समर्पित कर रहे हैं. अब मीडिया में ऐसी खबर चलने के बाद गुरुवार को यह बैठक हुई.
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