Nagar Nikay Chunav: महागठबंधन सरकार पर BJP ने लगाए गंभीर आरोप, रविशंकर प्रसाद ने नीतीश से पूछे ये सवाल
Bihar Politics: रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हमला बोला है. आरोप लगाया कि नीतीश सरकार सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन किए बिना ही चुनाव करा रही थी.
पटना: बिहार नगर निकाय चुनाव (Bihar Nagar Nikay Chunav 2022) को लेकर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) की ओर से आए फैसले के बाद बीजेपी (BJP) ने बिहार की महागठबंधन सरकार (Mahagathbandhan) पर गंभीर आरोप लगाया है. बुधवार को रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पटना हाईकोर्ट के आदेश से साफ हो गया कि नीतीश सरकार (Nitish Government) गैर कानूनी तरीके से काम कर रही है. रविशंकर प्रसाद ने सवाल पूछते हुए कहा कि नीतीश जी आपकी सरकार किस तरह से काम कर रही है? जवाब दीजिए.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पिछले कुछ सालों में सुप्रीम कोर्ट के अब तक के छह फैसले आ चुके हैं. ओबीसी, ईबीसी को कितना आरक्षण देना है उसके लिए ट्रिपल टेस्ट जरूरी है. छह फैसलों में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था. नीतीश सरकार सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन किए बिना ही चुनाव करा रही थी. रविशंकर प्रसाद ने कहा- "आपने यह क्यों किया नीतीश जी? वोट बैंक की पॉलिटिक्स के लिए आपने यह किया? कौन सी ताकतों की वजह से आपके यहां सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में काम किया जा रहा है?"
यह गंभीर मामला: रविशंकर प्रसाद
आगे रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग पर कौन दबाव बना रहा था? नीतीश कुमार जी बताइए? कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है. हम अति पिछड़ा की हक की लड़ाई लड़ते रहेंगे. पटना हाईकोर्ट के फैसले को बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है. इस पर रविशंकर ने कहा कि जो करना है करते रहें. हम अपनी आवाज उठाते रहेंगे. ओबीसी, ईबीसी की नीतीश कुमार ने अनदेखी की है.
बता दें पटना हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनाव पर रोक लगा दी है. पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने भी 10 और 20 अक्टूबर को होने वाले नगर निकाय चुनाव को स्थगित कर दिया है. पटना हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अति पिछड़ा वर्ग के लिए 20% आरक्षित सीटों को जनरल कर नए सिरे से नोटिफिकेशन जारी करें.
दरअसल, बगैर ट्रिपल टेस्ट के पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया गया था. इसको चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पटना हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही थी. पटना हाईकोर्ट ने माना कि बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत बगैर ट्रिपल टेस्ट के अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया. पटना हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन किए बिना ही चुनाव करा रहा था.
2021 दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जाएगी जब तक राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए मानकों को पूरा नहीं कर लेती है. 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने मानक तय कर दिए थे.
क्या है ट्रिपल टेस्ट?
किसी राज्य में आरक्षण के लिए स्थानीय निकाय के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की जांच के लिए आयोग की स्थापना की जानी चाहिए. इसके बाद आयोग की सिफारिशों के मुताबिक आरक्षण का अनुपात तय करना जरूरी है. साथ ही किसी भी मामले में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में कुल आरक्षित सीटों का प्रतिशत 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए.
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