पटनाः गुरुवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो चुका है. दुर्गा पूजा का नाम सुनते ही सबसे पहले मन में बंगाली समुदाय की तस्वीर झलकने लगती है. बिहार की राजधानी पटना का एक ऐसा इलाका है जहां ना सिर्फ 128 वर्षों से बंगाली समुदाय के लोग पूजा कर रहे हैं बल्कि यहां सिंदूर की होली भी खेली जाती है. पटना की यह एक ऐसी जगह है जहां मां दुर्गा के पूजा की शुरुआत स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी. ऐसे तो पटना में बंगाली रीति-रिवाज से छह जगहों पर पूजा होती है लेकिन लंगरटोली स्थित बंगाली अखाड़ा का इतिहास वर्षों पुराना है.


क्या है इतिहास?


बताया जाता है कि 1893 से पहले यहां कुश्ती होती थी और इसका इतिहास आजादी के दीवानों (स्वतंत्रता सेनानी) से जुड़ा है. अंग्रेजों की हुकूमत के समय यहां स्वतंत्रता संग्राम के दीवाने जुटते थे. यहीं पर लड़ाई और अन्य तरह की योजनाओं को तैयार किया जाता था. अंग्रेजों को शक ना हो इसलिए यहां नवरात्र के मौके पर मां दुर्गा की पूजा होने लगी. मां दुर्गा की पूजा उसी समय से शुरू हुई और काली की पूजा शक्ति के रूप में की जाने लगी. इसमें ज्यादतर बंगाली और मारवाड़ी लोग ही हुआ करते थे. साथी ही कुश्ती भी होती थी, इसलिए इसका नाम बंगाली अखाड़ा पड़ गया. अब कई समुदाय के लोग इस अखाड़े के सदस्य हैं.


पटना में इन छह इलाकों में बंगाली पद्धति से पूजा



  • न्यू एरिया, कदमकुंआ

  • बंगाली अखाड़ा, गर्दनीबाग

  • बंगाली अखाड़ा, आर ब्लॉक

  • बंगाली अखाड़ा, नाला रोड

  • रामकृष्ण मिशन आश्रम, नाला रोड

  • इंजीनियरिंग क्लब, बुद्ध मार्ग    


बंगाली अखाड़ा में षष्ठी के दिन से होती पूजा


राजधानी पटना के लंगरटोली स्थित बंगाली अखाड़ा में मां की पूजा षष्ठी से शुरू होती है. यहां कुमारी पूजा का भी महत्व है. सात साल से कम उम्र की कन्याओं को मां का साक्षात स्वरूप मानकर भव्य शृंगार किया जाता है. अष्टमी की शाम में संधि पूजन का भी विशेष महत्व है. माना जाता है कि 50 मिनट की इस पूजा के दौरान मूर्ति में मां प्रवेश कर जाती हैं. दशमी के दिन सिंदूर की होली खेली जाती है. सिंदूर के साथ जब महिलाएं होली खेलती हैं तो हर कोई इसमें भाग लेना चाहता है. इस दृश्य को देखने के लिए कई इलाकों से लोग बंगाली अखाड़ा पहुंचते हैं. बंगाली अखाड़ा में होने वाली सिंदूर की होली हर महिला के लिए खास मौका होता है. दशहरा के समय इस इलाकों में लोग जरूर घूमने के लिए आते हैं.  


बड़ी पटन देवी के बाद इस स्थान का भी महत्व


पटना के लंगरटोली स्थित बंगाली अखाड़ा में मनाए जाने वाले दुर्गा पूजा की कई विशेषताएं हैं. कहा जाता है कि यहां मां दुर्गा की प्रतिमा को काट-छांट किए बिना ही साड़ी पहनाई जाती है. सप्तमी और नवमी तक आरती के समय धुनुची नृत्य यहां आने वाले लोगों के लिए खास आकर्षण होता है. बड़ी पटन देवी के बाद बंगाली अखाड़े का भी काफी महत्व है. नवरात्रि के महीने में तो बंगाली अखाड़ा दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है.


दुर्गा पूजा को लेकर पटना में दिख रहा उत्साह


बता दें कि इस बार जिला प्रशासन की ओर से दुर्गा पूजा को मनाने के लिए छूट दी गई है. हालांकि कोरोना वायरस को देखते हुए तमाम तरह की गाइडलाइन जारी की गई है. नियम और शर्तों के तहत इसका आयोजन किया जाना है. गुरुवार को शारदीय नवरात्र के पहले दिन पटना के तमाम दुर्गा मंदिर में श्रद्धालु पूजा करने के लिए पहुंचे. पिछली बार कोरोना की वजह से ना सही लेकिन इस बार पटना में उत्साह देखने को मिल रहा है. बुधवार की शाम खरीदारी के लिए बाजारों में चहल पहल दिखी.



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