गया: नवरात्र के नवमी के दिन माता के दर्शन के लिए पूजा पंडाल से लेकर मंदिरों तक श्रद्धालुओं की भीड़ लगी है. सोमवार (23 अक्टूबर) की सुबह करीब 4 बजे से ही गया में मां मंगला गौरी (Maa Mangala Gauri) के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. इस दौरान पूरा मंदिर परिसर मां के जयकारे से गूंज रहा था. भक्त अपनी मनोकामना लेकर यहां आते हैं. कहा जाता है कि जो भी मांगो वो मिल जाता है. आज जानिए इस मंदिर से जुड़ी कुछ बातें.


शहर के भस्मकूट पर्वत में स्थित मां मंगला गौरी मंदिर में वैसे तो सालों भर श्रद्धालुओं की भीड़ होती है लेकिन नवरात्र के दिनो में ज्यादा भीड़ हो जाती है. कई किलोमीटर तक भक्तों की लंबी लाइन लग जाती है. ऐसी मान्यता है कि यहां माता सती का वक्षस्थल गिरा था जिस कारण यह शक्तिपीठ या पालनपीठ के रूप में प्रसिद्ध है.


धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि भगवान शंकर जब अपनी पत्नी सती का जला हुआ शरीर लेकर गुस्से में तीनों लोक में घूमने लगे थे तो सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मां सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से काटा था. इसी क्रम में मां सती के शरीर के टुकड़े देश के विभिन्न स्थानों पर जा गिरे थे. इसे बाद में शक्तिपीठ के रूप में जाना जाने लगा. उसी क्रम में यहां मां के स्तन का एक टुकड़ा भस्मकूट पर्वत पर गिरा था.


वर्षों से एक दीप हो रहा प्रज्वलित


ऐसी मान्यता है कि यहां पूजन-दर्शन करने से श्रद्धालुओं की हर मनोकामना को मां मंगला गौरी पूरा करती हैं. यहां पूजा करने से किसी भी भक्त को मां मंगला खाली हाथ नहीं भेजती हैं. गर्भगृह में वर्षों से एक दीप प्रज्वलित हो रहा है.


मंगला गौरी मंदिर के पुजारी लखन गिरी ने बताया कि इस मंदिर में आकर जो भी सच्चे मन से मां की पूजा अर्चना करते हैं मां उस भक्त पर खुश होकर उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं. मां मंगला गौरी मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 100 से अधिक सीढ़ियों को चढ़कर जाना होता है.


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