मधुबनी: नए साल के जश्न में पिकनिक मनाने के लिए आप इंडो-नेपाल सीमा के पास स्थित एक पिकनिक स्पॉट जा सकते हैं. इस जगह का नाम राजनगर है. ये मधुबनी का एक प्रखंड है और यहां का पुराना पैलेस और राज परिसर विशेष आकर्षण का केंद्र है. यह 50 एकड़ से अधिक में फैला राजनगर का राज परिसर दरभंगा राज के अधीन है. यहां नव वर्ष में 50 हजार से अधिक लोगों के साथ आप भी पिकनिक मना सकते हैं. आईए जानते हैं इस जगह से जुड़ी कुछ खास बातें.
कहां है राजनगर और राज परिसर?
राजनगर के राज परिसर में रहने वाले महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह, महाराज रामेश्वर और महाराज कामेश्वर सिंह दरभंगा राज की गद्दी संभाल चुके हैं. पटना से तकरीबन 200 किमी उत्तर दिशा की ओर भारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित है. मधुबनी जिले के 21 प्रखंड में से एक प्रखंड है राजनगर और ये जिला मुख्यालय से 12 किमी उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित है. यहां से जयनगर स्थित भारत-नेपाल की सीमा महज 20 किमी है. अभी इसके एक टुकड़े में एसएसबी का कैंप भी है.
कैसे पहुंचा जा सकता है राजनगर?
जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर राजनगर हवाई, सड़क और रेल मार्ग से पूरे देश से जुड़ा हुआ है. भारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित जयनगर से देश को जोड़ने वाली बड़ी लाइन या कहें तो मुख्य रेल लाइन पर राजनगर स्थित है. यहां आने के लिए सबसे अच्छा साधन सड़क और रेल मार्ग है. राजनगर का अपना रेल स्टेशन है. मधुबनी जिला मुख्यालय से राजनगर की दूरी 12 किमी और जयनगर से तकरीबन 20 किलोमीटर है. जयनगर से निकलने और जाने वाली सभी ट्रेन राजनगर होकर गुजरती है, लेकिन इंटरसिटी और गंगासागर एक्सप्रेस ट्रेनों के अलावा और कोई एक्सप्रेस ट्रेन का यहां ठहराव नहीं है. आप अंत्योदय और हमसफर को छोड़कर सभी सुपर एक्सप्रेस ट्रेन से उतरकर राजनगर जा सकते हैं. लोकल डीएमयू, ईएमयू और पैसेंजर का ठहराव राजनगर में होता ही है. राजनगर का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा दरभंगा है जो वहां से तकरीबन 40 किमी दूर है.
राजनगर में क्या है देखने योग्य?
राजनगर प्रखंड मुख्यालय में ही दरभंगा राज का राज परिसर है. यहां का आकर्षण दरभंगा महाराज का 50 एकड़ में फैला राज परिसर, पुराना राजमहल, हाथीघर और परिसर में स्थित कई मंदिर है जिनमें सचिवालय का हाथीघर, दुर्गा मंदिर और काली मंदिर लोगों का सबसे ज्यादा पसंदीदा है. कहा जाता है कि राजपरिसर के सचिवालय स्थित हाथीघर के हाथी को बनाने में ही सबसे पहले भारतवर्ष में सीमेंट का प्रयोग सन् 1928 में हुआ था. बिहार में 15 जनवरी 1934 को आए सबसे बड़े भूकंप में राजनगर का पूरा राजपरिसर तबाह हो गया. तत्कालीन दरभंगा महाराज ने इसे ठीक करवाने की कोशिश की, लेकिन दरभंगा में सभी अत्याधुनिक सुविधा से लैस भूकंप रोधी महल तैयार हो जाने के बाद परिसर के पुनरुद्धार एक सपना ही बन गया.
आज भी हजारों पर्यटक यहां सालों भर इस पुराने महल, परिसर और खंडहर को देखने आते हैं. कई एकड़ में फैले इसके परिसर में नए साल में ही पिकनिक मनाने 50 हजार से अधिक पर्यटक प्रदेश के कई जिले से और नेपाल के कई जिले से आते हैं. नव वर्ष पर प्रशासन, एसएसबी, कई एनजीओ और स्थानीय नागरिक साफ-सफाई एवं विधि व्यवस्था को बनाए रकने के लिए पूरी तरह जुटी रहती है.