पटना: नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बिहार विकास के मामले में फिर एक बार पिछड़ा हुआ राज्य साबित हुआ है. हाल ही में जारी नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश भारत के सबसे गरीब राज्यों आंके गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की 51.91 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है, झारखंड में 42.16 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 37.79 प्रतिशत लोग गरीब हैं. अब इस रिपोर्ट पर बवाल मचा हुआ है. विपक्ष के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और उनकी सरकार पर हमलावर हैं.
नीतीश कुमार ने कही ये बात
हालांकि, मुख्यमंत्री खुद नीति आयोग की रिपोर्ट से अनभिज्ञ हैं. उन्होंने खुद पत्रकारों से बातचीत के दौरान ये बात कही. एक कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से मुखातिब हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जब नीति आयोग की रिपोर्ट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट उन्होंने देखी नहीं है. इस संबंध में उन्हें जानकारी नहीं है. रिपोर्ट देखने के बाद वे कोई प्रतिक्रिया देंगे. इधर, उनके इस प्रतिक्रिया पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तंज कसा है.
मंत्री विजय चौधरी ने नाराजगी जाहिर की
उन्होंने मुख्यमंत्री का वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, " माने बहुते ही भोले है. कहीं कुछ देखते कहां है? इतना अभिनय करने के पश्चात भी क्या इनके चेहरे के भाव से लगता है कि वो वास्तव में नीति आयोग की रिपोर्ट बारे में जानते ही नहीं हैं? वो अच्छे से जानते है कि जब यह खबर बासी हो जाएगी तो कौन पूछेगा?"
इधर, उनके ही मंत्री विजय चौधरी ने नीति आयोग के रिपोर्ट पर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि नीति आयोग के काम करने का तरीका ही अव्यावहारिक और अप्रासंगिक है. हम लोग नीति आयोग के सामने अपना पक्ष रखेंगे. हम उम्मीद रखते हैं कि हमारे पहले के लिखे गए पत्र पर विचार करना चाहिए.
नीति आयोग पहले एक संतुलित पैमाना बनाए
नीति आयोग की रिपोर्ट पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि आयोग के विकास मापने का पैमाना ही अव्यावहारिक व अवास्तविक है. विकसित और विकासशील प्रदेशों का विकास दर या विकास की जर्नी एक ही पैमाने से नापते हैं तो ये तरीका बिल्कुल गलत है. ये तो एक तरह से अपने संसाधनों के बूते जोर लगाकर विकास कर रहे राज्यों को हतोत्साहित करने जैसा है. नीति आयोग पहले एक संतुलित पैमाना बनाए कि जो विकसित प्रदेश होंगे, उनकी जो गति और संसाधन होंगे, वो विकासशील राज्यों से अलग होंगे. बिहार जैसा गरीब प्रदेश कैसे उनसे प्रतिस्पर्धा कर सकता है. ये नीति आयोग को समझना होगा.
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