पटना: शिक्षक नियुक्ति (Bihar Teacher Recruitment) में डोमिसाइल नीति को लेकर पूरे बिहार में अभ्यर्थी विरोध कर रहे हैं. नीतीश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं, इसको लेकर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा कि बीपीएससी के द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति करनी है. मूल बिंदु यह है कि बिहार सरकार ने नियमावली में संशोधन किया है. बिहार सरकार ने शर्त में बदलाव किया है. बिहार राज्य सहित देश के किसी कोने के अभ्यर्थी इसमें शामिल हो सकेंगे. इससे बिहार लोक सेवा आयोग के द्वारा अच्छे शिक्षकों की नियुक्ति होगी. इस संशोधन में अब कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
बिहारी युवाओं के लिए हानिकारक होगा- आमिर सुबहानी
आमिर सुबहानी ने कहा कि आर्टिकल 16 यह कहता है कि राज्य के अधीन केवल जाति, लिंग, जन्म स्थान, निवास या किसी के आधार पर कोई अपात्र नहीं होगा. पूर्व में वर्ष 1994, 1999 और 2000 में परीक्षा हुईं हैं. इससे पहले भी यही कानून था. वर्ष 2012 में 1 लाख 68 हजार की नियुक्ति हुई, जिसमें 3 हजार से अधिक अभ्यर्थी बिहार के बाहर से आएं. उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में देश के हर राज्य के निवासी नौकरी करेंगे. स्थानीय राज्य के अलावा दूसरे राज्यों के निवासी भी पात्र हैं. यदि अन्य राज्यों में भी ऐसे नियम बनने लगे तो बिहारी युवाओं के लिए हानिकारक होगा. बिहार राज्य सहित देश के किसी भी कोने के अभ्यर्थी शामिल हो सकेंगे.
'हाईकोर्ट में एक दर्जन याचिका दायर हो चुकी है'
मुख्य सचिव ने आगे कहा कि बिहार के हर स्कूल में साइंस की पढ़ाई होती है. मेडिकल, आईआईटी में उच्च रैंक ला रहे हैं, यह धारणा बिल्कुल गलत है कि बिहार में गणित और साइंस के छात्र नहीं हैं. संशोधन पर उन्होंने कहा कि उस वक्त कानूनी बाध्यता नहीं रही होगी, इसके अलावे हाईकोर्ट में एक दर्जन याचिका दायर हो चुकी है, इसलिए सुधार किया गया. अभ्यर्थियों के आंदोलन वाले बयान पर आमिर सुबहानी ने कहा कि हर व्यक्ति को अपना अधिकार है, लेकिन सरकारी सेवकों की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करेगी.
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