पटना: जाति आधारित जनगणना (Bihar Caste Census) को लेकर नीतीश सरकार (Nitish Kumat) सक्रिय है. बिहार सरकार ने राज्य में जाति आधारित जनगणना पर अंतरिम रोक लगाने के पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) के आदेश को चुनौती देते हुए गुरुवार को उच्चतम न्यायालय (Supreme court) का रुख किया है. बता दें कि पटना उच्च न्यायालय ने राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं पर सुनवाई जल्द करने की बिहार सरकार की अर्जी खारिज कर दी थी. गौरतलब है कि 4 मई को उक्त दलीलों पर सुनवाई करते हुए, एचसी ने जाति आधारित सर्वेक्षण पर अंतरिम रोक लगाते हुए मामले को तीन जुलाई को सुनवाई के लिए आदेश दिया था.


पटना हाई कोर्ट ने पुराने आदेश को रखा कायम


जाति आधारित गणना मामले में शीघ्र सुनवाई की मांग करते हुए, बिहार सरकार ने पिछले सप्ताह उच्च न्यायालय के समक्ष एक अंतरिम आवेदन दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि उच्च न्यायालय का चार मई का आदेश अंतरिम है. विचाराधीन मुद्दों पर जल्द फैसला सुनाया जाए. मामले की निस्तारण किया जाए. प्रकरण को लंबित रखने से कोई प्रयोजन सिद्ध नहीं होगा. इसको लेकर पटना हाई कोर्ट ने 9 मई को फैसला सुनाया. हाई कोर्ट ने इस मामले में दिए गए पुराने आदेश का कायम रखा.


याचिकाकर्ताओं ने लगाया ये आरोप


दरअसल याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिका में कहा गया था कि बिहार सरकार के पास जातीयों को गिनने का अधिकार नहीं है. ऐसा करके सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है. जातीय गणना में लोगों की जाति के साथ-साथ उनके कामकाज और उनकी योग्यता का भी ब्यौरा लिया जा रहा है. ये उसकी गोपनियता के अधिकार का हनन है. जातीय गणना पर खर्च हो रहे 500 करोड़ रुपये भी टैक्स के पैसों की बर्बादी है.


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