पटना: बिहार के मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के संरक्षक जीतन राम मांझी के बेटे संतोष मांझी के नीतीश कैबिनट से इस्तीफे के बाद सियासी गलियारे में चर्चा तेज हो गई है. इसे लेकर जारी चर्चा के बीच बड़ी खबर ये है कि नीतीश कुमार के कैबिनेट का 16 जून को विस्तार हो रहा है. 16 जून को सुबह 11 बजे जेडीयू से रत्नेश सदा मंत्री पद की शपथ लेंगे.


संतोष मांझी भी जेडीयू कोटे से नीतीश कैबिनेट में मंत्री बनाए गए थे. सीएम नीतीश कुमार ने संतोष मांझी के विकल्प के रूप में मुसहर समाज से आने वाले सोनबरसा विधायक रत्नेश सदा को मंत्री बनाने का निर्णय लिया है.


तीसरी बार जेडीयू से जीतकर विधायक बने 


रत्नेश सदा लगातार तीसरी बार जेडीयू से सोनबरसा विधानसभा से जीतकर विधायक बने हैं. इससे एक दिन पहले मंगलवार को नीतीश कुमार द्वारा उन्हें मंत्री बनाए जाने को लेकर निर्णय लिया गया था. मंत्री बनने की सूचना पर मंगलवार को वो भावविभोर हो गए और उनके आंखों से आंसू निकलने लगे. रत्नेश सदा ने इस खुशी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तुलना कबीर दास से कर दी है.


संतोष मांझी ने बताई थी नीतीश कैबिनेट से इस्तीफे की वजह 


जीतन राम मांझी के बेटे संतोष मांझी ने अपने इस्तीफे के बाद इसकी वजह पर बात करते हुए बताया था कि उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेज दिया. उन्होंने कहा कि उनके इस्तीफा देने की वजह यही है कि उनके पास विलय करने का प्रस्ताव आया था. उन्होंने कहा कि हमने इस बारे में अपने कार्यकर्ताओं, विधायकों से विचार-विमर्श किया तो इस पर किसी की सहमति नहीं मिली.  


संतोष मांझी ने कहा कि विलय का प्रस्ताव जेडीयू की तरफ से आया था. उन्होंने कहा कि जेडीयू की भावनाओं का हम सम्मान करते हैं लेकिन हमारी पार्टी के गठन के पीछे भी कुछ मुद्दे हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए हमने संघर्ष का रास्ता चुना और विलय के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. 


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