नीतीश कुमार की NDA में एंट्री से कहीं बिगड़ न जाए इन 4 नेताओं का हिसाब-किताब, कैसे होगी सुलह?
Bihar Politics: बीजेपी किसी भी परिस्थिति में चिराग को हाथ से जाने नहीं देना चाहती है. उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी को भी साथ रखना चाहती है. ऐसे में देखना होगा कि सीटों का बंटवारा कैसे होता है.
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले एनडीए में शामिल हो गए हैं. अब चुनाव के कुछ महीने शेष बचे हुए हैं ऐसे में एनडीए में भी सीट शेयरिंग को लेकर घमासान दिख सकता है. नीतीश कुमार की एंट्री से एनडीए में पहले से शामिल चिराग पासवान, पशुपति पारस, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी को परेशानी हो सकती है. सीटों को लेकर कैसे बंटवारा होगा यह बहुत जल्द साफ हो जाएगा लेकिन सवाल है कि सबके साथ कैसे सुलह होगी? कहीं नीतीश कुमार के लिए "बेल का मारा बबूल तले" वाली कहावत ना सिद्ध हो जाए.
इसकी मुख्य वजह यह है कि चिराग पासवान ने पहले ही साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी को पिछली बार 6 सीट मिली थी और उससे कम वो नहीं लेंगे. चिराग पासवान के अलावा उनके चाचा पशुपति पारस भी दावा कर रहे हैं. पशुपति पारस के खेमे में रहने वाली वैशाली से सांसद वीणा देवी चिराग पासवान की पार्टी में आ चुकी हैं. पारस गुट में जाने वाले सांसद महबूब अली कैसर और चंदन सिंह भी चिराग पासवान के संपर्क में हैं. ऐसे में दो सांसद पशुपति पारस और उनके भतीजे प्रिंस राज चिराग के साथ नहीं आ सकते हैं. अगर पारस और प्रिंस को मनाया भी जाता है तो यह दोनों सीटिंग सांसद को टिकट देना पड़ेगा ऐसे में लोजपा के लिए 8 सीट का समीकरण बनता है.
उधर जीतन राम मांझी की चाहत दो सीटों की है, लेकिन उम्मीद है कि उन्हें एक सीट मिल सकती है. हालांकि अभी उपेंद्र कुशवाहा ने इस पर कुछ नहीं बोला है. अगर एक सीट उपेंद्र कुशवाहा के लिए भी रख लिया जाए तो नुकसान भी जेडीयू और बीजेपी को हो सकता है. पिछले साल की तरह बीजेपी और जेडीयू भी 17-17 सीटों का दावा करती है तो ऐसे में इस बर सीटों का हिसाब-किताब गड़बड़ हो सकता है.
चिराग पासवान को जाने नहीं देना चाहती बीजेपी
बता दें कि बीजेपी किसी भी परिस्थिति में चिराग पासवान को हाथ से जाने नहीं देना चाहती है. उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी को भी साथ रखना चाहती है. आंकड़ों की बात करें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए 40 में से 39 सीट जीती थी. इसमें बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और सभी 17 सीट जीत गई थी. बीजेपी को 24.6% वोट मिले थे. जेडीयू 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी लेकिन 16 सीट जीती थी और 22.26% वोट मिला था. लोक जनशक्ति पार्टी 6 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और सभी उम्मीदवार जीत गए थे.
उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी उस समय रालोसपा थी और अकेले 5 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. हालांकि एक भी सीट नहीं जीते थे. जीतन राम मांझी की पार्टी तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारी थी लेकिन एक भी सीट नहीं जीती थी. बीजेपी का लक्ष्य बिहार की सभी 40 सीटों को जीतने का है. अगर एक सीट इधर-उधर हो गई तो पिछली बार से भी नतीजा खराब न हो जाए.
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