Bihar Social Register: बिहार में बनेगा 'सोशल रजिस्टर', नीतीश सरकार के इस कदम से लोगों को होगा बड़ा फायदा
Social Register: सोशल रजिस्टर को लेकर निर्णय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया है. इसके लिए 85 करोड़ 23 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई है.
Bihar Government Social Register: बिहार में सरकार सोशल रजिस्टर तैयार करने जा रही है. नीतीश सरकार (Nitish Government) ने आम लोगों के हित में यह बड़ा कदम उठाया है. कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों का एक सोशल रजिस्टर तैयार किया जाएगा जिसके लिए 85 करोड़ 23 लाख रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति बुधवार (21 अगस्त) को प्रदान कर दी.
कैसे काम करेगा सोशल रजिस्टर?
दरअसल सोशल रजिस्टर को लेकर निर्णय बीते बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया. यह सोशल रजिस्टर लाभार्थियों की पहचान करने के लिए यूनिफाइड सर्विस डिलीवरी प्लेटफॉर्म (यूएसडीपी) के रूप में काम करेगा.
मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने कैबिनेट की बैठक के बाद प्रेस से बातचीत की. उन्होंने कहा, "कैबिनेट ने अपनी बैठक में राज्य के आम नागरिकों का परिवार-आधारित सोशल रजिस्टर तैयार करने एवं एकीकृत पोर्टल के माध्यम से लोक सेवाओं को प्रदान करने के उद्देश्य से यूनिफाइड सर्विस डिलीवरी प्लेटफॉर्म (बिहार-वन) के विकास के लिए 85 करोड़ 23 लाख रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर दी है."
सभी लाभार्थियों का तैयार होगा एक डेटाबेस
एसीएस डॉ. एस सिद्धार्थ ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा तैयार किए जाने वाले इस रजिस्टर को शुरू करने का उद्देश्य राज्य में सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे सभी लाभार्थियों का एक डेटाबेस (आंकड़े संबंधी ब्यौरा) विकसित करना है.
योजनाओं का लाभ लेने के लिए करना होगा रजिस्ट्रेशन
भविष्य में जो लोग (व्यक्ति और परिवार) राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का कोई लाभ लेना चाहते हैं, उन्हें पहले खुद को इस सोशल रजिस्टर में पंजीकृत करना होगा और प्रत्येक व्यक्ति को एक विशिष्ट पंजीकरण संख्या आवंटित की जाएगी. उस संख्या की मदद से सरकार राज्य में किसी व्यक्ति की ओर से प्राप्त की जा रही योजनाओं के लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकती है.
एसीएस डॉ. एस सिद्धार्थ ने फायदा गिनाते हुए स्पष्ट किया कि यह योजना (सोशल रजिस्टर) लाभार्थियों के जीवन स्तर की निगरानी के लिए एक तंत्र प्रदान करने के अलावा धोखाधड़ी, सामाजिक और आर्थिक लाभों के दोहराव को भी कम करेगी.
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