पटनाबिहार में जातीय गणना के पहले फेज का काम पूरा हो गया था. इसके बाद दूसरे फेज का काम 15 अप्रैल से शुरू किया गया था. इसी बीच चार मई को पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने अपने एक अंतरिम आदेश में जातीय आधारित गणना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया था. अब मंगलवार को पटना हाईकोर्ट के आए फैसले के बाद बिहार सरकार (Bihar Government) एक्शन में आ गई है.


सभी जिलों के डीएम को पत्र जारी किया गया है. जाति आधारित गणना को लेकर निर्देश दिया गया है. सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव की ओर से पत्र जारी किया गया है. सरकारी पत्र में कहा गया है कि जातीय गणना शुरू करें, ये सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. 



दरअसल, जाति आधारित गणना की शुरुआत सात जनवरी से हुई थी. सरकार ने कोर्ट में कहा था कि जातीय गणना का काम लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. जारी किए गए पत्र में पटना हाईकोर्ट के ऑर्डर का जिक्र किया गया है. बताया गया है कि जाति आधारित गणना पर लगी रोक को अब पटना हाईकोर्ट से हटा लिया गया है. कहा गया है कि बिहार में जाति गणना हो सकती है.


हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला


बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने पांच दिनों तक विस्तृत दलीलें सुनने के बाद सात जुलाई को राज्य में जाति-आधारित सर्वे कराने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. याचिका में कहा गया था कि बिहार सरकार के पास इस सर्वे को कराने का अधिकार नहीं है. ये गोपनीयता के अधिकार का हनन है. जातीय गणना पर खर्च हो रहे 500 करोड़ रुपये भी टैक्स के पैसों की बर्बादी है. केंद्र सरकार के मना करने के बाद बिहार सरकार खुद से बिहार में जातीय आधारित गणना करा रही है. हाईकोर्ट की रोक के बाद राज्य सरकार ने पहले हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका डाली थी और फिर सुप्रीम कोर्ट गई थी, लेकिन राहत नहीं मिली थी.


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