पटना: बिहार में जातीय गणना कराए जाने के बाद सरकार ने एक-एक आंकड़े जुटाए हैं. किस वर्ग में कितने लोग गरीब हैं, कितने लोग पढ़े-लिखे हैं, कितने लोगों के पास घर-जमीन नहीं है इसकी पूरी जानकारी सामने आ गई है. मंगलवार (07 नवंबर) को सदन में आर्थिक सामाजिक सर्वे रिपोर्ट पेश की गई. आंकड़े जारी होने के बाद नीतीश सरकार (Nitish Government) ने 94 लाख गरीब परिवारों की मदद का एलान किया है.


सदन में नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में सभी वर्गों में गरीब लोग पाए गए हैं. सामान्य वर्ग में 25.09 फीसद परिवार गरीब हैं. बिहार में गरीब तबके के लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए दो लाख तक की राशि हर परिवार को दी जाएगी. जमीन के लिए सरकार एक लाख रुपये देगी. घर बनाने के लिए 1.30 लाख रुपये दिए जाएंगे.


बिहार में 59.19 फीसद लोगों के पास पक्का मकान


जाति आधारित गणना के आर्थिक आंकड़ों के पेश होने के बाद विधानसभा में सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में 2 करोड़ 76 लाख परिवार हैं जिसमें 59.19 प्रतिशत लोगों के पास पक्का मकान है. 39 लाख परिवार झोपड़ी में हैं. कुल 9 राजनीतिक दलों के परामर्श से यह सर्वे कराने का निर्णय लिया गया था जिसे अब विधानसभा में पेश कर दिया गया है.


'जातीय गणना के लिए ज्ञानी जैल सिंह ने की थी बात'


सीएम ने कहा कि रिपोर्ट के जरिए बिहार की आर्थिक सामाजिक स्थिति से अवगत करा दिया गया है. उन्होंने कहा कि ज्ञानी जैल सिंह ने 1990 में जातीय गणना पर मुझसे बात की थी. ज्ञानी जैल सिंह के आग्रह पर हमने जातीय गणना कराने के बारे में सोचा था. हमने पीएम वीपी सिंह से भी अनुरोध किया था कि देश में जाति आधारित जनगणना कराई जाए. हम पीएम मोदी से भी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर मिलने गए थे. जातीय गणना कराने की मांग की थी. केंद्र के मना करने के बाद बिहार सरकार खुद से अपने खर्च पर जातीय गणना कराई.


नीतीश कुमार ने कहा कि देश में पहली बार किसी राज्य में यह हुआ है. विपक्ष कह रहा कि इस जाति की आबादी घट गई है और उस जाति की आबादी बढ़ गई. ये बोगस बात है. बिहार में महिलाओं की साक्षरता बढ़ी है. उन्होंने कहा कि लड़की पढ़ी-लिखी रहेगी तो जनसंख्या में नियंत्रण होगा.


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