पटना: पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) को लेकर सोमवार को जेडीयू (JDU) कोटे के मंत्री रत्नेश सदा (Ratnesh Sada) ने कहा कि अमित शाह (Amit Shah) से मिलने गए तो उनके पैर में चप्पल नहीं था. इससे नीतीश कुमार (Nitish Kumar) दलित विरोधी या अमित शाह हैं? जो व्यक्ति को चप्पल पहन कर अंदर आने नहीं दिया गया, उस व्यक्ति का बीजेपी (BJP) सम्मान करेगी और कुर्सी पर बैठने देगी? नीतीश कुमार ऐसे व्यक्ति हैं, जो अपना सीट छोड़ करके उन्हें मुख्यमंत्री बनाए. बीजेपी के लोग हो या अन्य दल को लोग उनको कोई इज्जत नहीं देगा. जीतन राम मांझी अमित शाह से मिलने चप्पल खोलकर गए. मांझी समाज को उन्होंने बदनाम करने का काम किया है.
रत्नेश सदा ने जीतन राम मांझी पर साधा निशाना
मंत्री रत्नेश सदा ने कहा कि संस्कार यही बताता है कि नीतीश कुमार के साथ रहते थे तो कुर्सी पर संग में बैठते थे, चप्पल पहनकर अंदर जाते थे. वहां डर से कह रहे हैं कि संस्कार हमारा है. अमित शाह के कितना करीब बैठे हुए थे तो इसको पर उन्होंने कहा कि वह डर से इस तरह की बात कह रहे हैं, लेकिन बिहार में क्यों नहीं वह चप्पल उतार के जाते थे. सभी ने देखा है कि अमित शाह ने कैसे उन्हें अपमानित करने का काम किया है. इससे मुसहर समाज अपमानित हुआ है.
'मांझी व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं'
आगे मंत्री ने कहा कि जीतन राम मांझी व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. हमारे नेता उन्हें कुर्सी पर बैठाने का काम किए लेकिन बीजेपी के लोग ने उन्हें चप्पल उतरवाने का काम किया है. चिराग पासवान, मुकेश सहनी बीजेपी में जा रहे हैं लेकिन चुनाव के समय पता चलेगा कि वोट बैंक किस तरफ जाएगा.
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