एक्सप्लोरर
बहुत कठिन डगर है! नीतीश ने संयोजक नहीं बनकर चली 'चाल', इंडिया गठबंधन के लिए टेंशन? | बड़ी बातें
Bihar News: इंडिया गठबंधन की शनिवार को हुई वर्चुअल मीटिंग में ममता बनर्जी सहित करीब आधे दल शामिल नहीं थे. बैठक में नीतीश ने संयोजक बनने से इनकार कर दिया. पढ़िए कुछ वजहें.
![बहुत कठिन डगर है! नीतीश ने संयोजक नहीं बनकर चली 'चाल', इंडिया गठबंधन के लिए टेंशन? | बड़ी बातें Nitish Kumar Played Game by Not Becoming Convener Tension for INDIA Alliance 10 Key Points ANN बहुत कठिन डगर है! नीतीश ने संयोजक नहीं बनकर चली 'चाल', इंडिया गठबंधन के लिए टेंशन? | बड़ी बातें](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/01/13/bec761b6ec5cc847f8d55948606579a61705162943825169_original.jpeg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
Source : ABP Live
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अक्सर चौंकाने वाला फैसला लेते रहते हैं. शनिवार (13 जनवरी) को इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) की वर्चुअल बैठक हुई और इसमें संयोजक के प्रस्ताव को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ठुकरा दिया. कारण जो भी हो लेकिन इसके कई मायने भी निकल रहे हैं. अगर ऐसा होता है तो इंडिया गठबंधन के लिए टेंशन वाली बात हो सकती है. पढ़िए बड़ी बातें.
- सीताराम येचुरी सहित बैठक में शामिल सभी दलों के नेता ने नीतीश कुमार के नाम पर प्रस्ताव रखा. उसी वक्त राहुल गांधी ने कह दिया कि नीतीश कुमार के नाम पर ममता बनर्जी सहमत नहीं हैं. वह नहीं चाहती हैं कि नीतीश कुमार संयोजक बनें. इसके बाद नीतीश कुमार ने संयोजक बनने से इनकार कर दिया.
- नीतीश कुमार ने इंडिया गठबंधन की नींव रखी और सभी राज्यों में जाकर राजनीतिक दलों को मनाने का काम किया. पहली बैठक पटना में हुई. अब तक 28 दल इंडिया गठबंधन में शामिल हो चुके हैं. हालांकि शनिवार को हुई वर्चुअल मीटिंग में जब नीतीश कुमार के संयोजक बनने हुई तो ममता बनर्जी सहित करीब आधे दल बैठक से गैरहाजिर रहे.
- नीतीश कुमार की पार्टी के नेता कार्यकर्ता उन्हें प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में देखना चाहते हैं. उनके समर्थक चाहते हैं कि नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाया जाए. नीतीश कुमार हर बार इससे इनकार करते रहे हैं लेकिन कई बार पार्टी के नेता कह चुके हैं कि वह पीएम मैटेरियल हैं.
- दूसरी ओर यह भी माना जा रहा है कि नीतीश कुमार अगर संयोजक बन जाते तो फिर सीट शेयरिंग को लेकर उन्हें परेशानी झेलनी पड़ सकती थी. क्योंकि संयोजक का काम है सभी दलों को सहमति के साथ मिलाकर चलना जबकि बिहार में लोकसभा सीटों को लेकर जेडीयू अलग राह पर है.
- नीतीश कुमार की पार्टी बिहार में 17 सीटों पर दावा कर रही है जबकि भाकपा माले की ओर से 5 सीटों की डिमांड की गई है. सीपीआई तीन सीट मांग रही है. कांग्रेस ने भी 9 से 10 सीटों की मांग की है. जेडीयू का कहना है फैसला आरजेडी को करना है.
- अब अगर नीतीश कुमार संयोजक बनते तो उन्हें अपनी सीटिंग 16 सीटों पर भी समझौता करना पड़ता और कांग्रेस के साथ वाम दल को अपनी सीटिंग सीटों से भी उन्हें देना पड़ सकता था. ऐसे में जेडीयू को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता था.
- नीतीश कुमार सिर्फ संयोजक बनकर कम सीटों पर चुनाव लड़ते हैं तो वह इंडिया गठबंधन पर दबाव नहीं बना सकते थे. नीतीश कुमार यह जानते हैं कि इंडिया गठबंधन में प्रधानमंत्री की दावेदारी रिजल्ट के बाद ही तय होगा. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा सीट जीतकर लाना ही महत्वपूर्ण है. ऐसे में संयोजक का पद लेकर वह सीटों को गवाना नहीं चाहते हैं.
- हालांकि यह इतना भी आसान नहीं है. भाकपा माले के एक नेता यह कह चुके हैं कि जेडीयू 17 सीटों की डिमांड कर रही है लेकिन यह 2019 का चुनाव नहीं है, 2024 का चुनाव है. 2020 के विधानसभा चुनाव में वह 43 सीट लेकर आए थे. उस हिसाब से देखा जाए तो अधिकतम 6 से 7 सीट ही उनको मिलनी चाहिए.
यह भी पढ़ें- Exclusive: …तो इसलिए भी संयोजक बनने से नीतीश ने किया इनकार? ममता बनर्जी और PK ने सेट किया था 'प्लान'!
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, राज्य और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
दिल्ली NCR
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
इंडिया
Advertisement
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)