पटना: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने बुधवार (18 अक्टूबर) को बिहार के चतुर्थ कृषि रोडमैप (2023-2028) का लोकार्पण किया. इस मौके पर सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने भी इसकी उपलब्धियां गिनाईं. इन सबके बीच नीतीश सरकार में विधायक और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह (Sudhakar Singh) ने गुरुवार (19 अक्टूबर) को बड़ा बयान दिया है.


पूर्व कृषि मंत्री और आरजेडी से विधायक सुधाकर सिंह ने कहा कि चौथे कृषि रोडमैप को भाषणों के जरिए हमने सुना है. इसकी प्रति हमने विभाग से मांगी है. मिलने के बाद देखेंगे कि चौथे कृषि रोडमैप में पिछले तीन कृषि रोडमैप से क्या अंतर है. इसके आधार पर हमलोग बता पाएंगे कि यह कितना सफल हो पाएगा. या जिन लक्ष्यों की तरफ बढ़ना था वो लक्ष्य निर्धारित है कि नहीं.


ठीक से लागू नहीं हुआ कृषि रोडमैप: सुधाकर सिंह


मीडिया के इस सवाल पर कि राज्यपाल ने कार्यक्रम में कहा कि चौथा कृषि रोडमैप कागजों तक ही न रह जाए. किसानों तक भी पहुंचे. नीतीश कुमार ने भी उनसे कहा कि आप घूमकर देखिए कहीं गड़बड़ लगता है तो संबंधित विभाग को बताइए. इस पर सुधाकर सिंह ने कहा कि राज्यपाल के पास सीधे-सीधे कोई जानकारी लेने का तरीका नहीं है. जो सरकार दस्तावेज उनके सामने प्रस्तुत करती है वो वही देख पाते हैं. सवाल यह है कि पिछले तीन कृषि रोडमैप जो रहे उसको लेकर बिहार के लोगों के मन में शंका है. आपने लागू ठीक से नहीं किया. हमने खर्च किया कि उत्पादन बढ़े, आय बढ़े, उत्पादक बढ़े, वो तमाम लक्ष्य विफल रहे.


सुधाकर सिंह ने कहा कि आज अगर बिहार में किसानों की आमदनी की तुलना पंजाब के किसानों से की जाए तो उनके मुकाबले 3.5 से चार गुणा कम है. बिहार में एमएसपी पर खरीद नहीं है. आप मंडी कानून की बात नहीं कर रहे हैं. मंडी नहीं होने से किसानों को कोई लाभ नहीं हो रहा है. हमारा पलायन होता रहेगा. एक सवाल के जवाब में कहा कि राज्यपाल से पहले मैं यह सब बातें कह चुका हूं. मेरी बातों को राज्यपाल ने कल (बुधवार को कार्यक्रम में) सत्यापित किया है.


'किसानों से ले लें राय, पता चलेगा क्या हो रहा'


बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी कहा है कि कृषि रौडमैप बिल्कुल किसानों तक पहुंचा है. इस पर सुधाकर सिंह ने कहा कि अगर हम राजनेताओं के बयान को छोड़ दें, मैं भी जो कह रहा हूं राजनेता के तौर पर कह रहा हूं, हो सकता है इसमें पक्ष-विपक्ष होगा. इसकी वास्तविक सत्यता तो ये होगी कि आप किसानों से बयान ले लें. पटना के आसपास के किसानों से ही बात कर लें. धरातल पर पता चलेगा कि क्या हो रहा है. 


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