पटना: बिहार सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए विधानमंडल के सभी सदस्यों के मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना निधि से दो-दो करोड़ रुपये लिए हैं. इस राशि को कोरोना उन्मूलन कोष में ट्रांसफर किया गया है. वहीं, पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान विधानमंडल के सभी सदस्यों के मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना निधि से 50-50 लाख रुपये लिए थे. ऐसे में बीते दिनों नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सरकार से कोरोना की पहली लहर के दौरान लिए गए पैसों का हिसाब मांगा था. 


तेजस्वी के पत्र का मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने जवाब दिया


तेजस्वी यादव ने कहा था कि सरकार ने पैसे लिए इस बात से दिक्कत नहीं है. लेकिन उसका खर्च कहां किया इसका हिसाब सरकार को देना चाहिए. अब तेजस्वी के सवालों का नीतीश कुमार के मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने जवाब दिया है. उन्होंने बताया कि पिछले साल विधानमंडल के सभी सदस्यों के मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना निधि से लिए गए 50-50 लाख रुपये कहां खर्च हुए. 


तेजस्वी को लिखे पत्र में योजना एवं विकास मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया, " यह कथन सत्य नहीं है कि कोरोना महामारी के पहले चरण साल 2020 में मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना की निधि से ली गई राशि का सदुपयोग नहीं हुआ है. वास्तव में महामारी के पहले चरण में मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना मद से 181.4194 करोड़ रुपये की राशि कोरोना उन्मूलन कोष में हस्तान्तरित की गई थी, जिसके विरूद्ध 179.963 करोड़ रुपये का व्यय किया गया है."


ऑक्सीजन गैस भंडारण के लिए टंकी लगाई गई


उन्होंने बताया, " इन स्वीकृत योजनाओं से विभिन्न जिलों और चिकित्सा महाविद्यालय अस्पतालों में 50.0489 करोड़ रुपये से आवश्यक सुविधाएं और उपकरण उपलब्ध कराया गया है. इसके अलावा 13.9865 करोड़ रुपये की लागत से ऑक्सीजन गैस भंडारण के लिए टंकी भी लगाई गई है. विभिन्न जिला पदाधिकारियों के माध्यम से 29.8806 करोड़ रुपये की राशि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए खर्च की गई है."


योजना एवं विकास मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया, " अस्सी करोड़ रुपये की राशि बिहार चिकित्सा आधारभूत संरचना निगम के माध्यम से खर्च की गई है. शव वाहनों पर 273 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं . कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल, बिहटा को 2.3659 करोड़ रुपये की राशि दी गई है."


कोरोना से निपटना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता


पत्र में उन्होंने कहा, " कोविड को महामारी पर नियंत्रण के लिए आवश्यक उपकरण और सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है. राज्य के विभिन्न जिलों में मौजूदा समय में चिकित्सा महाविद्यालयों और जिला/अनुमंडल/प्रखंड स्तरीय अस्पतालों में अलग-अलग प्रकार की चिकित्सा सुविधाएं और उपकरण उपलब्ध कराने की आवश्यकता है. जिलों में कोविड रोग के प्रसार और गंभीरता की स्थिति भी अलग-अलग है. ऐसे में कोविड की महामारी से लड़ने के लिए किस जिले में कौन सी आवश्यकताएं है, इसका निर्णय और आवश्यकताओं की पूर्ति स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत गठित कोरोना उन्मूलन कोष से केन्द्रीयकृत ढंग से ही करना संभव एवं व्यवहारिक है. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए कोरोना उन्मूलन कोष का गठन किया गया है."


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