पटना: बिहार चुनाव में एनडीए की जीत के बाद नीतीश कुमार ने सोमवार को फिर बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. हालांकि इस बार बीजेपी नेता सुशील मोदी बिहार के डिप्टी सीएम नहीं बन पाए.


इस बारे में जब नीतीश कुमार से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “ये भारतीय जनता पार्टी का फैसला है। हमारा गठबंधन है, हम लोग मिलकर काम करते हैं, मिलकर काम करेंगे.”


बता दें सुशील मोदी 24 नवंबर 2005 से 16 जून 2013 और फिर 27 जुलाई 2017 से 15 नवंबर 2020 तक नीतीश की अगुवाई वाली सरकारों में डिप्टी सीएम रहे हैं. हालांकि 2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए को जीत मिलने के बाद भी उन्हें सरकार में जगह नहीं दी गई.


विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ज्यादा सीटें मिलने के साथ ही राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं.  ऐसा पहली बार है जब 2 उप-मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. ये दोनों ही बीजेपी के कोटे से तारकेश्वर प्रसाद और रेणु देवी हैं. जाहिर है कैबिनेट में दो डिप्टी सीएम बनाने से इस बात के संकेत मिलते हैं कि नीतीश की अगुवाई वाली कैबिनेट में पूरी तरह से इस बार बीजेपी का वर्चस्व रहने वाला है.


बीजेपी ने नीतीश कैबिनेट में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए दो डिप्टी सीएम बनाने का फैसला किया है. 74 सीटों पर जीत के बाद बीजेपी की स्थिति सहयोगी जेडीयू की तुलना में मजबूत बनी हुई है जबकि जेडीयू को बीजेपी के मुकाबले 31 सीट कम आई है.


बिहार की राजनीति पर अगर गौर करें तो अब तक यहां पर चार ही उप-मुख्यमंत्री बन पाए हैं. सबसे पहले डिप्टी सीएम थे डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिन्हा. उसके बाद राज्य के उप-मुख्यमंत्री पद पर बैठे कर्पूरी ठाकुर. हालांकि, कर्पूरी ठाकुर बाद में प्रदेश के मुख्यमंत्री की भी कमान संभाली.


इसके बाद साल 2005 में नीतीश की अगुवाई में सुशील मोदी को बिहार का उप-मुख्यमंत्री बनाया गया. उसके बाद 2 साल से भी कम समय के लिए तेजस्वी यादव महागठबंधन की सरकार में डिप्टी सीएम बने. जल्द ही ये महागबंधन की सरकार गिर गई और उसके बाद बीजेपी-जेडीयू गठबंधन की सरकार में फिर सुशील मोदी को डिप्टी सीएम बनाया गया


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