पटना: पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह सोमवार को अपने पैतृक गांव शाहपुर में पंचतत्व में विलीन हो गए. लेकिन बिहार की सियासत में ब्रह्म बाबा खुद को ज्यादा प्रासंगिक बना गए. शायद रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी नहीं सोचा होगा कि दुनिया से जाने के बाद वो बिहार की चुनावी बयार में सियासी मुद्दा बन जाएंगें.


बिहार चुनाव में खूब बिखरेंगे चिट्ठियों के पन्ने


रघुवंश प्रसाद की चिट्ठी, पार्थिव शरीर से लेकर अंतेष्टि तक सब कुछ पिछले दो दिनों में बिहार के सियासत में मुद्दा बना रहा. रघुवंश बाबू की आखिरी चंद चिट्ठियों को सत्तारूढ़ दल ने आरजेडी के खिलाफ मुद्दा बनाया. वहीं आगामी बिहार चुनाव में भी इन चिट्ठियों के पन्ने खुब बिखरेंगें. इधर, आरजेडी भी पिछले दो दिनों से इस चिट्ठी को साजिश बता नकार रही है.


नीतीश कुमार मंत्रियों ने लगाए नारे


मगर हद तो तब हो गई जब उनके पैतृक गांव में चल रहे अंत्येष्टि के दौरान एक तरफ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव मौजूद थे. तो वहीं दूसरी तरफ बिहार सरकार के दो मंत्री भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. उनके साथ बड़ी संख्या में जेडीयू कार्यकर्ता भी मौजूद थे. भारी भीड़ के सामने मौके की नजाकत को भांप कर सूचना एंव जनसंपर्क विभाग के मंत्री नीरज कुमार और आईटी मंत्री जय कुमार सिंह ने अचानक नारे लगाने शुरू कर दिए.


हैरान रह गए मौके पर मौजूद लोग


नीतीश कुमार के मंत्रियों ने नारे लगाते हुए कहा कि " रघुवंश नहीं ये आंधी है, देश का दूसरा गांधी है. ईमानदार रघुवंश बाबू अमर रहें, हर ईमानदार आदमी रघुवंश बाबू को नमन करो, मनरेगा मैन अमर रहे." जबतक कोई कुछ समझ पाता मंत्री अपने कार्यकर्ताओं के साथ नारा लगा कर निकल गए और वहां मौजूद राजनेता और भीड़ हतप्रभ देखती ही रह गई.


जेडीयू चिट्ठी को बनाएंगे मुद्दा


मंत्रियों के इस नारे वाले स्टंट से एक बात तो साफ हो गई कि आने वाले चुनाव में जेडीयू रघुवंश प्रसाद को लालू और आरजेडी के खिलाफ बार-बार मुद्दा बनाएगी. नफा और नुकसान तो वक्त तय करेगा. मगर आरजेडी के नेता इससे असहज जरूर होते रहेंगे.