NMCH के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म, पुलिस बल की तैनाती के बाद काम पर लौटे डॉक्टर
अस्पताल में बीती शाम हुई घटना के बाद जूनियर डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार का फैसला किया था. लेकिन आश्वासन मिलने के बाद वे सभी काम पर लौट गए थे. लेकिन आज भी जूनियर डॉक्टर के साथ मरीजों के अटेंडेंट ने बदसलूकी की, जिस वजह से वे नाराज होकर हड़ताल पर चले गए थे.
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पटना: बिहार के पटना स्थित एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों का हड़ताल समाप्त हो गया है. मिली जानकारी अनुसार प्रति शिफ्ट 20 पुलिस जवानों की तैनाती की मांग पूरी होने के बाद जूनियर डॉक्टरों ने फिर एक बार मरीजों का इलाज शुरू कर दिया है. इस संबंध में एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टर रामचंद्र ने कहा कि दो शिफ्ट में 20-20 की संख्या में पुलिस देने की बात पटना एसएसपी उपेंद्र शर्मा की ओर से कही गई थी, जिसमें अभी के शिफ्ट के जवान आ गए हैं.
इस बार हैं चार गुना अधिक मरीज
उन्होंने बताया कि एनएमसीएच के प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी को भी गार्ड्स की संख्या बढ़ाने को कहा गया है. अस्पताल में पिछले साल की तुलना चार गुना अधिक मरीज हैं, और स्टाफ एक-तिहाई, ऐसे में दिक्कत होना लाजमी है.
उन्होंने कहा कि एमबीबीएस फाइनल ईयर का एग्जाम नहीं होने की वजह से 150 इंटर्न नहीं आ पाए हैं. नॉन-एकेडमिक जेआर का टेन्योर खत्म हो गया है. उसे भी बढ़ाया नहीं गया है. केवल पीजी के स्टूडेंट्स अकेले 400 कोविड बेड नहीं संभाल सकते. वार्ड अटेंडेंट्स की भी कमी है. नर्सेज की भी कमी है. बाईपेप मशीन नहीं हैं.
डीएम के सामने उठाया सारा मुद्दा
उन्होंने बताया कि इन सभी मुद्दों को पटना डीएम के सामने उठाया गया है. अगर ये सारी कमियां दूर हो जाएं तो इलाज करने में भी सहूलियत होगी और हंगामा भी कम होगा. गौरतलब है कि अस्पताल में बीती शाम हुई घटना के बाद ही जूनियर डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार का फैसला किया था. लेकिन आश्वासन मिलने के बाद वे सभी काम पर लौट गए थे.
इस वजह से हड़ताल पर चले गए थे डॉक्टर
इसी क्रम में आज भी जूनियर डॉक्टर के साथ मरीजों के अटेंडेंट ने बदसलूकी की जिस वजह से वे नाराज हो गए और हड़ताल पर चले गए थे. उनका कहना था कि आए दिन डॉक्टरों को मरीज के परिजनों का आक्रोश झेलना पड़ता है, जिसकी वजह से उन्हें काफी दिक्कत होती है. ऐसी परिस्तिथि में अस्पताल में काम करना सुरक्षित नहीं है.
जूनियर डॉक्टर अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर एनएमसीएच के अधीक्षक के पास पहुंचे थे और अस्पताल में समुचित सुरक्षा बल की मांग की थी. जूनियर डॉक्टरों का साफ तौर से कहना था कि जब तक अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ नहीं की जाती है, तब तक वे वापस काम पर नहीं लौटेंगे.
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