पटना: बिहार की राजधानी पटना स्थित एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टर शुक्रवार से हड़ताल पर चले गए हैं. कोरोना मरीजों के परिजनों के व्यवहार से नाराज होकर जूनियर डॉक्टरों ने कोरोना के बढ़ते प्रभाव के बीच ये कदम उठाया है. बीते 24 घंटे में दो-दो बार परिजनों की नाराजगी का शिकार हुए जूनियर डॉक्टर सुरक्षा की मांग पर अड़ गए हैं. उनका कहना है कि ऐसे माहौल में काम करना उनके लिए बहुत मुश्किल हो रहा है. ऐसे में जब तक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं होंगे, वो काम पर नहीं लौटेंगे. 


डॉक्टरों के पास अमृत का घड़ा नहीं


इधर, जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के बाद अस्पताल के अधीक्षक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि मृतक के परिजन आरोप लगाते हैं कि उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया. लेकिन दुर्व्यवहार से किसी की जान नहीं जाती. किसी को गाली देने से उसकी जान नहीं जाती है. जान तो कोरोना के वजह से जा रही है. डॉक्टरों के पास कोई अमृत का घड़ा नहीं है, कि वो एक चमच्च अमृत पिला देंगे और पेसेंट ठीक हो जाएंगे.


उन्होंने कहा, " जो भी उपलब्ध संसाधन हैं, उसकी मदद से मरीजों का भरपूर इलाज डॉक्टर कर रहे हैं. कोई भी डॉक्टर ये नहीं चाहता कि मरीज मर जाए. डॉक्टर लगातार प्रयास करते हैं और प्रयास में बहुत बार सफलता मिलती है, बहुत बार नहीं मिलती है, तो उन्हें ये समझना चाहिए और संयम बरतना चाहिए."  उन्होंने कहा कि सुरक्षा का आश्वासन मिलने के बाद सभी काम पर लौटे थे, लेकिन प्रशासनिक स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की गई, इस वजह से डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. 


नए मरीजों को नहीं किया जाएगा भर्ती 


अस्पताल अधीक्षक ने कहा कि 24 घंटे के अंदर ऐसी दो-दो घटनाएं हो जाना ये बात सही नहीं है. मैं भी किस मुंह से डॉक्टरों को काम पर लौटने को कहूं. किसी भी फील्ड के कर्मचारी गाली सुनकर और मारपीट सह कर काम नहीं कर सकते हैं. हमने डीएम और एसएसपी को पत्र लिखा था. अस्पताल में हर शिफ्ट में 20 पुलिस जवानों की तैनाती की मांग की थी. लेकिन इस और कोई सुनवाई नहीं की गई. ऐसे में डॉक्टरों और बेड की कमी की वजह से फिलहाल नए मरीजों को भर्ती नहीं लिया जाएगा.


डॉक्टरों के साथ की हाथापाई
 
वहीं, आज हुई घटना के संबंध में एनएमसीएच की डॉक्टर मधुमिता ने बताया कि सभी डॉक्टर काम में लगे हुए थे. इसी क्रम में एक शख्स डेथ सर्टिफिकेट में सुधार करवाने आया और जल्द काम करने  के लिए दबाव बनाने लगा. जब उसे समझाने की कोशिश की गई वो और अन्य तीन लोग मारपीट पर उतारू हो गए. डॉक्टरों के साथ हाथापाई की. 


डॉ. मधुमिता की मानें तो उनके साथ भी धक्का मुक्की की गई. उपद्रव मचाने वाले लोग कह रहे थे कि वो आंनद किशोर के आदमी हैं और वे क्या कर सकते हैं, इसका डॉक्टरों को अंदाजा भी नहीं है. उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद सभी डॉक्टरों के बिहाफ लिखित आवेदन भी दिया है. ऐसे माहौल में काम करना मुश्किल है. 


इधर, पटना एसडीएम ने कहा कि अभी डॉक्टरों की बातों को समझने की कोशिश की जा रही है. बातों के अनुसार जो भी कानूनी कार्रवाई होगी वो की जाएगी. सुरक्षा व्यवस्था यहां पहले से ही उपलब्ध है लेकिन अभी की परिस्थिति क्या है, ये देखने के बाद तय किया जाएगा.


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