सिवानः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भले ही लाख दावे करें लेकिन सच्चाई यही है कि आज भी बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे ही चल रही है. जो सुविधाएं अस्पताल में होनी चाहिए वो सुविधाएं नदारद दिखती हैं. देश के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद के गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल भी बदहाल है.


भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को देशरत्न की उपाधि तो मिली लेकिन उनके गांव स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का अब तक विकास नहीं हो सका. यह बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का गृह जिला भी है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन काफी जर्जर हो चुका है. भवन के ऊपर से दीवार टूट कर गिरती है. अस्पताल में पानी लग जाता है. बरसात के दिनों में पानी टपकने से यहां रखे जरूरी कागजात, इलाज के लिए रखीं मशीन खराब हो रही हैं.


अस्पताल के अधिकारी डॉ. नितेश कुमार मिश्रा ने बताया कि यहां पानी टपकता है, जर्जर हो चुका भवन का छत टूट कर गिरता है, लेकिन कोई व्यवस्था नहीं होने से ऐसे ही इलाज करना पड़ता है. यहां काम करने वाले एंबलेंस कर्मचारी ने बताया कि यहां रहने में भी डर लगता है. कभी भी मकान पूरा गिर सकता है.


 बेंच पर किया जाता इलाज, थाना ने आधा जमीन पर किया कब्जा


जीरादेई स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की आधी जमीन पर स्थानीय जीरादेई थाना का कब्जा है. थाना भी पहले इसी अस्पताल की जमीन पर हुआ करता था. थाना का नया मकान बन चुका है लेकिन अभी तक अस्पताल की जमीन से थाना का सामान नहीं गया. यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों का बेंच पर बैठाकर इलाज किया जाता हैं. नितेश कुमार मिश्रा ने कहा कि थाना द्वारा अस्पताल की जमीन पर कब्जा होने से यहां जगह की कमी है. अगर थाना अस्पताल की जमीन छोड़ दे और यहां नया भवन बन जाए तो लोगों को अच्छी सुविधा मिल सकेगी.


कबाड़खाने जैसा हुआ अस्पताल का नक्शा


जीरादेई विधायक अमरजीत कुशवाहा ने कहा कि जब उन्होंने अस्पताल का निरीक्षण किया तो देखने पर लगा कि ये अस्पताल नहीं कबाड़खाना हैं. जगह-जगह छत टूटी है और पानी टपक रहा था. इस दौरान डॉक्टर ने विधायक से कहा कि जिस उपकरण के लिए उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को लिखा है उसे रखने के लिए भी यहां कोई व्यवस्था नहीं है.


तत्कालीन मुख्यमंत्री ने किया था उद्घाटन


देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद के गांव जीरादेई में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन 1986 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद के हाथों किया गया था. डॉ. राजेंद्र प्रसाद 12 वर्षों तक देश के राष्ट्रपति रहे. जीवन के अंतिम क्षण उन्होंने पटना के सदाकत आश्रम में बिताए. 28 फरवरी 1963 को उनका देहावसान हुआ और पटना के बांसघाट पर गंगा नदी के किनारे उनका दाह संस्कार किया गया.


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